गुरु गुरु सब कहे,
जाने न गुरु का मान !
गुरु कृपा जो पाये
उसे मिले उच्च स्थान !!
एक गुरु कबीर के
ऐसा दिया उनको ज्ञान !
अनपढ़ से संत बने
लेकर एक नई पहचान !!
एक गुरु तुलसी के
फटकार से पाया ज्ञान !
प्रेम रसिक से दास बने
रामचरित मानस के विद्वान !!
एक गुरु वाल्मीकि के,
मिला ऐसा मन्त्र वरदान
त्याग गृह की माया को
किया रामायण का विन्यास !!
एक गुरु कर्ण के
जिन्होंने किया त्रिस्कार !
मन के बिठा मूरत को
पाये सर्वश्रेष्ठ शागिर्द का नाम !!
गुरु तो गुरु होते है
जाने किस रूप में मिल जाये !
जो पहचाने ह्रदय से,
दुनिया का विवेकानन्द कहलाये !!
मैं अज्ञानी निर्जन प्राणी
जन जन से सीखने की चाह धरु
इतनी शक्ति देना गुरू ईश,
हर टीका-टिप्पणी सहर्ष स्वीकार करू !!
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डी. के. निवातियाँ ___________!!!
बहुत ही खूबसूरत रचना है और आपने जिन गुरुओं और उनके जिन शिष्यों का जिक्र किया है वास्तव में आज के परिवेश में ऐसे गुरुओं और ऐसे ही शिष्य जो अब हम सबके लिए गुरु ही हैं के विचारों को आत्मसात करना हमारी उपयोगिता होगी. अति सूंदर………………………
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का तहदिल से शुक्रिया विजय………..ह्रदय की भावनाओ के कुछ शब्दों से रचना को विस्तृत किया है पुन: नजर करे !!
आपका किया विस्तार बिलकुल उपयुक्त है………….सुन्दर रचना……………….
बहुत बहुत धन्यवाद आपका विजय ।
बहुत ही बढ़िया रचना………..निवातियाँ जी
बहुत बहुत धन्यवाद मनी…….।
बेहतरीन ……………………….
धन्यवाद शिशिर जी…… ।
गुरु-शिष्य के पावन बंधन पर सुन्दर कृति!!!
बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी…….. ।।
निवातियाँ जी गुरु से बड्ढकर कोई नहीं ,परमात्मा से पहचान कराने वाला गुरु ही होता है .अगर गुरु चरणों में जगह मिल जाये तो धन्य भाग समझना चाहिए .सुंदर कविता के लिए बहुत २ बधाई आपको
बहुत बहुत धन्यवाद किरण जी ………लम्बे अंतराल के बाद आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई बहुत अच्छा लगा ..निरंतर अपेक्षित है …….. ह्रदय से आभार आपका !!
जो गुरु को मान देता है उसे उच्च स्थान मिलता ही है ………………………….. लाजवाब निवातियाँ जी !!
अनेको अनेको धन्यवाद सर्वजीत जी ।।
आदरणीय डी. के. निवातियाँ जी साहित्य शास्त्र के विविध प्रसंगों को उठाकर रचनात्मक स्वरुप में वर्णन करना अध्यात्म का दुर्लभ ज्ञान आपकी श्रीवाणी द्वारा किया गया | आपका अध्ययन वेदाध्ययन ,गीता ,उत्तम साहित्य शास्त्र को प्रेरित करता है| आपको रचना धर्मिता में रत रहने के लिए धन्यवाद!
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का अनेको अनेको धन्यवाद सुखमंगल ………!!
हार्दिक शुक्रिया आदरणीय डी के निवातियाँ जी आपको मेरे द्वारा की गयी टिप्पड़ी सही लगी | मैं कृतार्थ हुआ आपने धन्यवाद देने से !
एक और बेहतरीन…….बहुत ही सही कहा आपने…..और अंत में अपनी बात कहके और खूबसूरत बन दी रचना…..नमन आपको…..
अनेको अनेको धन्यवाद आपका बब्बू जी …………!!
Bahut hi sundar bhav….Sir!!!
Superb
तहदिल से शुक्रिया स्वाति ……!!
निवातियाँ साहब खूबसूरत रचना पढ़ते हुए ऐसा लग रहा था जैसे कोई दोहे पढ़ रहा हु अति सुंदर रचना l
राजीव साहब आपका हार्दिक धन्यवाद!!
बहूत ही सुन्दर हार्दिक बधाई नमन निवातियाँ जी !
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक ……………!!
अलग अलग काल खंड में आलग अलग गुरु ज्ञान के रूप को प्रतिबिंबित करती अत्यंत खुबसूरत रचना!
रचना नजर करने के बहुत बहुत धन्यवाद सुरेन्द्र आपका ।