हर इंसान दूसरों से कुछ न कुछ सीखता है l
हर किसी को उनमे अपना गुरु दिखता है ll
कोई किताबी शिक्षा देकर गुरु कहलाता है l
कोई काम सिखा, पेट की आग बुझाता है ll
कभी छोटे से बच्चे से ज्ञान मिल जाता है l
कभी बड़े को समझना मुश्किल हो जाता हैll
इस जीवन को नई दिशा देने वाला गुरु है l
छोटा हो या बड़ा गुरु तो आखिर गुरु है ll
माँ ने चलना सिखाया तो पिता ने संभलना l
गुरु ने सिखाया ज्ञान के दीपक का जलना ll
सीखते है हर पल नहीं लगता पूर्ण विराम l
उन सभी गुरुओं को मेरा शत-शत प्रणाम ll
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बहुत ही सूंदर………………गुरु बिन ज्ञान कहाँ…………………..
दिल की गहराइयों से धन्यवाद विजय जी l
बहुत खूब…राजीव जी।
स्वाति मैडम कविता को पढ़ने एवं सराहने के लिए धन्यवाद l
अनुपम कृति राजीव जी !
मीना मैडम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद l
अति सुन्दर राजीव ……….!!
धन्यवाद निवातियाँ साहब l
bahut hi sunder rachna rajeev ji apki
Thank u so much Mani ji
ऐसे गुरु को नमन
आपको भी नमन
Thanks Dr. Choote Lal ji
अति सुन्दर नमन……..
Thank u so much Abhishek
Satya kaha aapne……jis se ham achhe sanskaar seekhte hain woh sab guru hai… Bahut sahi and khoobsoorat bhaav…..
बब्बू जी कविता सराहने के लिए धन्यवाद
राजीव जी हमारा भी सभी गुरुओं को प्रणाम ………………………………………. बेहतरीन !!
Thanks Sarvajit ji
राजीव बहुत सुन्दर श्रद्धा भाव समेटे रचना
शिशिर साहब आप सब भी मेरे गुरु है जिनसे मैंने भी बहुत कुछ सीखा है इसलिए आपको एवं औरो को भी मेरा शत-शत नमन l
राजीव जी गुरु भक्ति में जो भी कुछ लिखा जाये, कम ही है फिर भी आपने अत्यंत ही सारगर्भित रचना से हमे सिंचित किया है!
Thank u so much Surender ji