Homeसुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'सौ का नोट सौ का नोट सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' 19/07/2016 23 Comments जम्हूरियत में सबसे बड़ी ताकत जनता का वोट होता है हुकूमतें बदल जाती पल भर में जब उसका चोट होता है नुमाइंदा कोई भी हो क्या फर्क गरीबी में जीने वालों को उनके लिए हर सरकार की कीमत सौ का नोट होता है।। !!!! !!!! सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप” Tweet Pin It Related Posts बच्चे की चाहत जख्म गजल (जिन्दगी का नूर) About The Author कुशक्षत्रप Myself Surendra Nath Singh s/o Sri Kalicharan Singh Current: Mathematics Faculty Assam email: [email protected] Contact: 9532855181 23 Comments Shishir "Madhukar" 19/07/2016 वर्तमान भीड़तंत्र पर सटीक कटाक्ष Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 19/07/2016 शिशिर सर धन्यवाद आपको! Reply विजय कुमार सिंह 19/07/2016 बिलकुल सत्य लिखा है आपने सौ की नोट पर बहुत सारे वोट पड़ जाते हैं………..बहुत खूब………… Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 19/07/2016 विजय कुमार जी, कोटि कोटि धन्यवाद आपको! Reply अभिषेक शर्मा 'अभी' 19/07/2016 सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ……….. Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 19/07/2016 अभिषेक जी धन्यवाद! Reply Dr Chhote Lal Singh 19/07/2016 यथार्थ प्रस्तुति …… Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 19/07/2016 Dr sahab धन्यवाद आपको! Reply Bindeshwar prasad Sharma (Bindu) 19/07/2016 Takht palat ke liye sabse badi takat janata ki vote mani gai hai, Aaj ke daur mein party ke log lalach dekar apni jeet pakki karna chahatein hain. Ishme chand log rupaye ki lalach mein apni niati kharab karte hai, jiske karan aam logon ki muskilein badh jati hai. Waise 100 ka not wakai rajyanity tantra ko dusit kiya hai.Hukumten badal jati pal bhar mein ….. bahut khub. Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 19/07/2016 बिंदु जी विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए आभार! Reply RAJEEV GUPTA 19/07/2016 सच कहा सुरेन्द्र जी पैसा पैसा होता है दुःख होता है की आज नोट के आगे इंसान की कोई कीमत नहीं रहील बहुत सुंदर रचना l Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 19/07/2016 राजीव जी प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार! Reply Dr Swati Gupta 19/07/2016 Very very nice..Sir.. Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 19/07/2016 स्वाति mam, धन्यवाद! Reply Meena bhardwaj 19/07/2016 सुन्दर रचना……, Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 19/07/2016 मीना भरद्वाज mam प्रतिक्रिया के लिए धन्यवादधन्यवाद! Reply निवातियाँ डी. के. 19/07/2016 विशुद्ध व्यंग्योक्ति………..बहुत अच्छे सुरेन्द्र !! Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 19/07/2016 निवातियाँ जी कोटि कोटि धन्यवाद! Reply mani 19/07/2016 बहुत बढ़िया सर…….. वोट के लिए राजनीति में पैसे का इस्तेमाल अच्छे समाज की सोच को खत्म कर रहा है Reply sarvajit singh 19/07/2016 जहां नोट ——- वहीँ वोट ना किसी के बारे मैँ जानकारी ना पता किसी के दिल का खोट कमाल है सुरेन्द्र जी आपका सौ का नोट L A A J A W A A B Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 20/07/2016 वाह भाई सर्वजीत सिंह जी,कमाल की प्रतिक्रिया! Reply babucm 20/07/2016 बधाई आपको सौ के नोट की….पैसे की बदौलत गधे भी राज करते हैं…..बहुत शानदार व्यंग…. Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 20/07/2016 बब्बू जी सच कहते है आप। धन्यवाद Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
वर्तमान भीड़तंत्र पर सटीक कटाक्ष
शिशिर सर धन्यवाद आपको!
बिलकुल सत्य लिखा है आपने सौ की नोट पर बहुत सारे वोट पड़ जाते हैं………..बहुत खूब…………
विजय कुमार जी, कोटि कोटि धन्यवाद आपको!
सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ………..
अभिषेक जी धन्यवाद!
यथार्थ प्रस्तुति ……
Dr sahab धन्यवाद आपको!
Takht palat ke liye sabse badi takat janata ki vote mani gai hai, Aaj ke daur mein party ke log lalach dekar apni jeet pakki karna chahatein hain. Ishme chand log rupaye ki lalach mein apni niati kharab karte hai, jiske karan aam logon ki muskilein badh jati hai.
Waise 100 ka not wakai rajyanity tantra ko dusit kiya hai.Hukumten badal jati pal bhar mein ….. bahut khub.
बिंदु जी विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए आभार!
सच कहा सुरेन्द्र जी पैसा पैसा होता है दुःख होता है की आज नोट के आगे इंसान की कोई कीमत नहीं रहील बहुत सुंदर रचना l
राजीव जी प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार!
Very very nice..Sir..
स्वाति mam, धन्यवाद!
सुन्दर रचना……,
मीना भरद्वाज mam प्रतिक्रिया के लिए धन्यवादधन्यवाद!
विशुद्ध व्यंग्योक्ति………..बहुत अच्छे सुरेन्द्र !!
निवातियाँ जी कोटि कोटि धन्यवाद!
बहुत बढ़िया सर…….. वोट के लिए राजनीति में पैसे का इस्तेमाल अच्छे समाज की सोच को खत्म कर रहा है
जहां नोट ——- वहीँ वोट
ना किसी के बारे मैँ जानकारी
ना पता किसी के दिल का खोट
कमाल है सुरेन्द्र जी आपका सौ का नोट
L A A J A W A A B
वाह भाई सर्वजीत सिंह जी,कमाल की प्रतिक्रिया!
बधाई आपको सौ के नोट की….पैसे की बदौलत गधे भी राज करते हैं…..बहुत शानदार व्यंग….
बब्बू जी सच कहते है आप। धन्यवाद