कैराना के हिन्दू भागे,कोई गम नही,हिन्दू ही तो है,
UPSC रैंकर को घर नहीं मिला,हाय मची ही तो है।
बहुसंख्यक है हम तो क्या हुआ,दर्द नही होता?
अल्पसंख्यक होते तो,विधवाओं जैसा रोना होता।
अलग अलग चश्मे पहन,हर घटना को क्यों देखते हो,
अपनी आँखो से देखों, औरों पर क्यों घुटने टेकते हो।
जात पात ना सोचो करो,ना धर्म को देखा करो,
भारतवंशी हो तुम ,न्याय को ना अनदेखा करो।
_____”रवि यादव अमेठीया”_____
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रचना के भाव अच्छे हैं……………..राजनीति गन्दी है……………..
dhanyawad Vijay Kuamr ji.