इन्वेस्टमेंट ने किया ऐसा कमाल ,
लोगों को कर दिया रातों रात मालामाल,
लोगों ने हमें भी समझाया ,
कि सुरक्षित भविष्य के लिए ,
इन्वेस्टमेंट बड़ा ही जरुरी है।
इन्फ्लेशन रेट बड़ी तेजी से भाग रहा है ,
इसीलिए पूरा का पूरा समाज जाग रहा है ,
आप भी जागिए ,
और जहां ठीक लगे ,
वहां इन्वेस्टमेंट कर डालिए।
जब हमने उनके ,
इस विचार पर किया विचार ,
तो पाया कि इन्वेस्टमेंट तो है ,
डबल इनकम ग्रुप ,
वालों के चोंचले।
हमारा तो बहुत कुछ ,
बुनियादी जरूरतें पूरी करने में ,
बाकी बचा थोड़ा कुछ ,
रिश्तेदारी निभाने में ,
स्वाहा हो जाता है।
हाँ अगर इन्वेस्टमेंट ,
भाँति भाँति के होते है ,
तो हमने भी तो ,
रिश्तों में,
इन्वेस्ट किया है।
उसमे अपना तन मन धन ,
सब कुछ दिया है ,
मगर यह बात तो बाद मे पता चली ,
कि तन और मन तो बेकार ही जाया कर दिए ,
खालिस धन से काम चल जाता।
वैसे तन का क्या ?
तन को तो युः भी ,
उम्र के साथ घिसना ही था ,
मन को भी तो ,
समय की चक्की में पिसना ही था।
और धन तो,
धन तो वैसे भी ,
हाँथो का मैल होती है ,
लक्ष्मी चंचल है ,
हाँथो में कहाँ टिकती है।
और अगर टिकना भी चाहे,
तो हम टी. वी.के ,
विज्ञापन से प्रभावित हो कर ,
उसे रगड़ रगड़ कर ,
धो डालते हैं।
हाँ तो मैं बता रही थी ,
कि मैंने सिर्फ रिश्तों में ,
इन्वेस्ट किया है ,
और जिंदगी को अपनी ,
शर्तों पर जिया है।
हाँ तो बात इन्वेस्टमेंट की हो रही थी ,
और मै बता रही थी ,
कि मैंने सिर्फ रिश्तों में ,
इन्वेस्ट किया है ,
और जिंदगी अपनी शर्तों पर जिया है।
वैसे यह रिश्तों का गणित भी ,
बड़ा ही पेचीदा होता है ,
और गणित तो,
वैसे भी मेरा ,
सबसे कमजोर विषय रहा है।
मेरे इस कमजोर गणित ने ,
मुझको दिया है ऐसा सिला ,
कि जहाँ ज्यादा इन्वेस्ट किया ,
वहीँ ज्यादा घाटा है मिला ,
फिर भी आज की तारीख में ,
मुझे किसी से है ,कुछ भी नही गिला।
क्योंकि जहाँ से एक्सपेक्टेड नहीं था ,
वहाँ से डबल प्रोफिट भी आया है ,
एक जगह के प्रोफिट ने ,
दूसरे जगह के लॉस को ,
अच्छे से बैलेंस किया है।
हालाँकि बीच बीच में स्पीडब्रेकर ने ,
जिंदगी को जोर का झटका भी दिया है ,
और जिंदगी मैंने अपनी ,
शर्तों पर जिया है।
हाँ मैंने भी इन्वेस्टमेंट किया है
हाँ मैंने भी इन्वेस्टमेंट किया है।
बहुत बढ़िया मञ्जूषा जी………….
Thanks Mani Ji.
इस से बढ़िया इन्वेस्टमेंट है ही नहीं…..आजकल इसी में इन्वेस्टमेंट नहीं हो रहा….तभी रिश्ते गायब हो रहे….बहुत ही खूबसूरती से सन्देश देती रचना….अनुकरणीय……
बहुत बहुत धन्यवाद बब्बू जी। आजकल समय के अभाव में रिश्ते मात्र फेसबुक तक ही सीमित रह गए है। वैसे तो फेसबुक का अपना ही फायदा है। यह
हमें भूले बिसरे दोस्तों और परिचितों को फिर से हमारी जिंदगी में लाता है। मगर हमें अपने आस पास के रिश्तों को भी संजो कर रखना चाहिए।
मञ्जूषा जी अति सुंदर. मेरा तजुर्बा आटो यह कहता है के तन – मन का इन्वेस्टमेंट भी कभी ना कभी काम आता है. हाँ अपवाद हो सकते है. चोंचले शब्द का बड़ा सही इस्तेमाल किया है आपने. एक पैरा में कुछ शब्द रिपीट हो रहे है उसका सुधार कर दीजिएगा.
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी। आपके कहे अनुसार मैंने अपनी कविता को एडिट कर दिया है। हमने कविता को मात्र एडिट ही नही किया ,बल्कि चार पाँच पैरे और भी जोड़े है। आप अवश्य ही पढ़िएगा और अपनी टिपण्णी दीजिएगा। आपके प्रोत्साहन और टिपण्णी की मैं बहुत ही आभारी हूँ।
Rishto me kiya gaya investment hi ek din praffullit hota hai. Aachhi return milti hai. Bahut khub Manjusha mam!
Many Many Thanks Surendra ji.
बेहतरीन रचना………बेहतरीन भावों को पिरोकर लिखी गयी है………….एक उत्तम रचना के लिए आपको बधाई. एक बार “चंचल मन” पढ़ें अवश्य ही पसंद आएगी.
आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए मैं ह्रदय से बहुत आभारी हूँ विजय जी। मैं आपकी कविता ” चंचल मन ” अवशय ही पढूंगी।
रिश्तों के मूल्यों का बखूबी स्पष्टीकरण किया आपने बहुत खूब मञ्जूषा !!
आपके प्रोत्साहन के लिए दिल से आभारी हूँ डी.के.जी।
मञ्जूषा जी रचना का विस्तार बहुत अच्छा है. अपने तजुर्बे भी कुछ ऐसे ही है. बड़ी सटीक रचना है.
Many many Thanks shishir ji. Aapse isi tarah ke protsahan aur bahumulya sujhaw ki mai bhavishya mei bhi aasha rakhti hoon.