अपने भारत जैसा धरती पर कोई देश नहीं हैं और
ईमानदार यहाँ धक्के खाते हैं और चोर मचाएं शोर
संघीय ढाँचे के नाम पर हरदम राज्य शोर मचाते हैं
अपने दोषों की गठरी भी वो केन्द्र के सर ठहराते हैं
केन्द्र अगर सख्ती कर दे तो आने से पहलें नई भोर
चोरों का ये संघीय ढाँचा हो जाता हैं बहुत कमजोर
देश सुचारु चलाने को ये तो प्रशासनिक व्यवस्था हैं
इसके कारण देखो पर अब हालत कितनी खस्ता हैं
कुछ राज्यों के नेता तो गुंडो से भी बदतर दिखते हैं
थाने भी वहाँ पर अक्सर पैसों के दम पर बिकते हैं
असल विकास को लेकर कहीँ कोई नहीं अनुराग हैं
बस ताकत को काबू करने की अंधी भागमभाग हैं
एक विशेष राज्य नेता तो इतना ज्यादा बौखलाया हैं
पोलीस ना मिली तो जैसे उसने कुछ भी ना पाया हैं
जिसको जो भी मन आए वो पी एम को कह देता हैं
और बेचारा पी एम भी हँस हँस कर सब सह लेता हैं
सख्ती अगर दिखानी हैं तो शासन में अनुशासन हो
सब मिलकर तय कर लो ना बेमतलब के भाषण हो
शिशिर मधुकर
अच्छी कविता है आपकी शिशिर जी। वर्तमान रजीनीतिक पर बड़ा ही सटीक कटाक्ष। बहुत
धन्यवाद मञ्जूषा जी ……………
शिशिर सर राजनैतिक कटाक्ष करती यह रचना बहुत खुबसूरत है। इसमें कोई दो राय नहीं की संघीय ढाचे में एक न्यूनतम अनुशाशन होना अति आवश्यक है पर यह भी सत्य है की किसी एक राज्य के मापदंड को पुरे देश के लिए आधार नहीं बनाया जा सकता। अगर संघीय व्यवस्था में राज्य की अनुशाशन की महती जरूरत है तो केंद्र सरकार की भी बड़ी जिम्मेदारी है की संघीय ढाचे को किसी भी तरह नुकसान न पहुचने दे।
हार्दिक आभार सुरेन्द्र …………..
बहुत खूबसुरत शिशिर जी, व्यंगात्मक रचना के माध्यम से हकिकत को बयान किया है …अपितु राजनितिक परिपेक्ष मे इस बात को भी नकारा नही जा सकता कि दलगत नीति के चलते राज्य व केन्द्र दोनो ही निजि मूल्यो को अधिक महत्व देने से नही चूकते जो राष्ट्र के लिये घातक है ।
रचना पर आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया निवातियाँ जी. वेलकम बैक .
अनुशासन तो होना ही चाहिए चाहे शासन हो या व्यक्तिगत जीवन …………………………… बहुत ही बढ़िया मधुकर जी !!
सर्वजीत बहुत बहुत धन्यवाद ……………..
रचना का ऐसा ढांचा बनाना भी आपकी कलम का ही अंदाज़ है…..जो कटाक्ष के साथ आपने जो सन्देश दिया है वो लाजवाब है…..अनुशासन तो होना ही चाहिए….और जो नाजायज़ फ़ायदा उठाता है चाहे वह भाषणों के ज़रिये हो या कृत्यों के रूप में उसको अनुशासन सिखाना भी चाहिए…..बेहतरीन…..
बब्बू जी रचना पसंद करने के लिए ह्रदय से आभार
बहुत बढ़िया शिशिर जी क्या लिखा है आपने…….अनुसाशन का होना बहुत बहुत जरूर है यही जीवन को या किसी भी कार्य को सफल बनता है…………..बहुत बढ़िया सर
मनिंदर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
बहुत सुंदर शिशिर जी , आज के राजनैतिक चरित्र का बहुत ही उमदा चित्रण किया आपने ।
राजकुमार जी रचना पढ़ने और सराहने के लिए शुक्रिया
जबतक राजनीति में गुंडों का प्रवेश वर्जित नहीं होगा, राजनीति का चरित्र ऐसा ही होगा. अपराध के बल पर ही बने हैं समाज के ठेकेदार, मिलते ही कुर्सी देश लूटने को तैयार. अति सूंदर………………….
विजय आपकी प्रशंसा के लिए अनेको आभार
राजनैतिक विसंगतियों का अच्छा चित्रण शिशिर जी !!
मीना जी आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार
Gundon se battar dikhte hai ……….. wah kya wakya hai rajnaitik samikaran mein ,khara utarta hua ek achhi rachna prasasan ke liye sandesh wahak. bahut badia sir.
रचना की सराहना के लिए अनेकों आभार बिंदेश्वर ……………….
राजनीति की सच्चाई से अोत-प्रोत होती सुंदर कविता l सही कहा सशिशिर साहब राजनीति कीचड़ की वो दलदल है जहां हर किसी पर छींटे तो पड़नी ही पड़नी है l
रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार राजीव जी