कारवां साथ है, मैँ अकेला नहीं,
सारी दुनिया चुप, मैँ अकेला नहीं,
लहूलुहान तड़पता सड़क पर पड़े को,
देख छोड़ने वालो में, मैँ अकेला नहीं,
सरे-आम बीच सड़क किसी लड़की को,
छेड़ने वालो में, मैँ अकेला नहीं,
अपने पालनहार को बोझ समझ,
घर से निकालने वाला, मैँ अकेला नहीं,
ख्वाहिशो को बेढंगे तरीकों से,
पूरा करने वाला, मैँ अकेला नहीं,
काम जल्दी करवाने के लिए,
रिश्वत देने वाला, मैँ अकेला नहीं,
स्कूल में गैर हाजिर रह, घर पर,
टूशन पढ़ाने वाला, मैँ अकेला नहीं,
उसके पास ज्यादा, मेरे पास कम क्यों ?
सोच ले जीने वाला, मैँ अकेला नहीं,
मजार पर चादर, हर रोज शिलाओं पर,
दूध चढ़ाने वालो में, मैँ अकेला नहीं,
मतलब के लिए रिश्तों की साँझ,
डालने वाला, मैँ अकेला नहीं
अत्याचार, बेईमानी, कालाबाजारी पर,
साधने वाला चुप, मैँ अकेला नहीं,
आतंकवाद, बलात्कार के नाम पर,
मोमबतिया जलाने वाला, मैँ अकेला नहीं,
सबको बदलना होगा, साथ चलना होगा,
बदल दे दुनिया को “मनी” कोई ऐसा अकेला नहीं,
क्या जकझोरने वाली पंक्तियाँ लिखी है मनिंदर जी, आज के हालात पर जो भी स्वार्थीपन में हो रहा है उसका कितना व्य्ग्यतामक भाव दिया है। सलाम आपको!
सुरेन्द्र जी आप इतना सम्मान ना दे अभी सीख रहा हु मैँ………..तहे दिल आभार आपका
मनीजी…..कमाल कर दिया व्यंग का….बेहतरीन………
तहे दिल शुक्रिया सी एम शर्मा जी आपका
सच मनी जी कविता के माध्यम से आपने सबको जगाया है साथ मिलकर चलना होगा तभी कुछ सुधार हो सकता है किसी के अकेले से नहीं l
शुक्रिया राजीव जी आपका रचना पर प्रतिक्रया देने के लिए
इंसान की स्वार्थी सोच पर करारा प्रहार किया है आपने. अति सूंदर………………….
तहे दिल धन्यवाद विजय जी आपका
बहुत खूबसूरत मनी …………अंतरात्मा को सोचने के लिए मजबूर करती खूबसूरत रचना !!
बहुत बहुत आभार निवातियाँ जी आपका इस उत्साहवर्धन के लिए
बहुत ही बढ़िया …………………….. बेहतरीन …………………………… मनी !!
बहुत बहुत आभार सर्वजीत जी आपका |
बेहतरीन रचना. बिलकुल अलग अंदाज़.
तहे दिल आभार शिशिर जी इस उत्साहवर्धन के लिए