तेरे ख़्वाबों में खोकर
तब मैंने तेरा दीदार किया ,
जब तेरी याद ने दिल को मेरे
हर लम्हां बेक़रार किया ,,,,,,
तू क्या जाने तेरे बिन
कैसे बीत रहे हैं दिन
पल -पल तेरी याद में
अँखियाँ बरसे बादल बिन
अँखियों ने हर आहट पर
बस तेरा इंतज़ार किया
जब तेरी याद ने दिल को मेरे
हर लम्हां बेक़रार किया ,,,,,,
तेरे बिन मेरी साँसे अब
इस देह का दामन छोड़े हैं
तेरे विरह की अग्नि ने
साँसों के बंधन सारे तोड़े हैं
तेरे बिन है जीना मुश्क़िल
हर धड़कन ने मेरी इक़रार किया
जब तेरी याद ने दिल को मेरे
हर लम्हां बेक़रार किया ,,,,,,
तेरी बाहों में खोकर ही
अब तो मुझको चैन मिले
ऐसे लगा ले मुझको गले
जैसे दिन और रैन मिले
तूने भी तो मुझको
मुझसे ज़्यादा प्यार किया
जब तेरी याद ने दिल को मेरे
हर लम्हां बेक़रार किया
तब तेरे प्यार की ख़ुशबू से
मैंने रोम -रोम श्रृंगार किया
जब तेरी याद ने दिल को मेरे
हर लम्हां बेक़रार किया ,,,,
सीमा “अपराजिता “
सीमाजी….आपने बहुत अच्छा लिखा है….आप दुबारा इसको देखें तो बहुत ही छोटी छोटी सी गलती है जो टाइपिंग की वजह से लगती है …जैसे आपने लिखा….”जब तेरी याद ने दिल को मेरे” …..मुझे लगता की यह ऐसे होना चाहिए…. जब तेरी याद ने दिल का..ऐसे ही मेरी की जगह मेरा….और कुछ नहीं…इस से रचना आपकी और सुन्दर होगी….
accha likha aapne……..
बहुत खूब सीमा जी इंसान जिसे चाहता है उसके बिना पल भर भी नहीं रह पाता है l लाजवाब रचना l
बहुत खूब……….अति सूंदर…………
अत्यन्त खूबसूरत प्रेम भाव युक्त रचना सीमा जी.
अति सुन्दर सीमा जी
बहुत खूब सीमा ………..
nice composition…….!