वाह री दुनिया वाह री दुनिया तू भी अजब निराली है,
कहीं ख़ुशी का फव्वारा तो कहीं आसूं की प्याली है….
वाह री दुनिया वाह री दुनिया तू भी अजब निराली है..
कहने को ईश्वर एक है, फिर भी करोड़ो नाम हैं,
कहीं कहलाते देवराज, और कहीं इन्द्र बदनाम है,
जब ईश्वर अल्लाह एक हैं, तो क्यों मंदिर मस्जिद की लड़ाई ?
जब कर्म ही सबसे प्रधान है, तो क्यों करते हैं किस्मत की बड़ाई?
वाह री दुनिया वाह री दुनिया तू भी अजब निराली है,
कहीं अमीरी ,कहीं भलाई और कहीं सुख समृध्धि अपार है ,
कहीं गरीबी ,कहीं लड़ाई और आतंक का प्रचार है ,
कहीं पत्थर को दूध पिलाते ,और कहीं भूखे बच्चे करें गुहार ,
कहीं आदमी भूखा सोये,और कहीं मंदिरों में हो सोने की बरसात,
पत्थर में बसते हैं ईश्वर, और उन पर करते तन मन न्योछावर,
कहीं पर तो लेते हैं ईश्वर की आड़,और करते हैं नर संहार,
मानवता का पाठ पढ़ाते, पर मानव का कोई मूल्य नहीं ,
धर्म अधर्म की बात करें सब, फिर भी कोई धर्म नही,
जिस धर्म के ऊपर जान लुटाते, उसका तनिक भी ज्ञान नहीं!
वाह री दुनिया वाह री दुनिया तू भी अजब निराली है,
कहीं ख़ुशी का फव्वारा तो कहीं आसूं की प्याली है….
वाह री दुनिया वाह री दुनिया तू भी अजब निराली है.
Duniyaan mein ham rakhte hain or Yeh sab hamaari hi karaamaat hai….bhagwaan ka dosh nahin hai….usne toh insaan banaaya or farak karna hamne seekha….usne toh kaha ji Jan hit ki sewa Uski sewa hai….par ham kahan maante hain….ham usko dikhaawe se khush karne mein lage hain… Tabhi toh ham dukha hain…bhaavon se Jan hit se ussko khush karte toh ham bhi khush or sukhi hote……aapke bhaav bahut sundar hain……
Dhanyawad Sharma jee !