असर कुछ ऐसा हुआ तेरे इश्क का,
गाफिल हुए फिरते है, त्रिभुवन की बातों से,
हम हम ही ना रहे, हम तुम हो गए,
निकाल कर ले गए दिल, निगाहो से,
पलो में सिमटी थी मुलकात हमारी,
लूट लिया तूने दिलकश अदाओं से,
कर मोहनी मन्त्र, कहाँ तिरोहित हो गए ?,
मजनू बन, ठिकाना पूछता “मनी” तेरा हवाओं से,
गाफिल-बेखबर
त्रिभुवन-जहान
तिरोहित-गायब
Maniji….nasha toh aankhon ka poora chhaa gaya hai….poore nashedi hobgah ho ab… Hahahahaha…….behad behad umda…… Waah…badhaayee majnoo banane ki…
तहे दिल बहुत बहुत शुक्रिया सी एम शर्मा जी इस हौसलाअफ़्ज़ाई के लिए,
Very very nice mani ji………………………………………….
तहे दिल बहुत बहुत शुक्रिया विजय जी इस सराहना के लिए
बहुत खूबसूरत लिखा है अपने मणि जी
शुक्रिया किरण जी तहे दिल से इस उत्साहवर्धन प्रतिक्रया के लिए
कमाल कर दिया …………………………………. मनी …………………………… लाजवाब !!
सर्वजीत जी तहे दिल से आभार आपका, आपकी प्रतिक्रया मेरे लिए किसी इनाम से कम नहीं, आगे भी ऐसे ही उत्साह बढ़ाते रहे |
मनी भावों, हिंदी एवं उर्दू शब्दों का सुंदर चित्रण
thanks shishir ji
बहुत खूबसूरत मणि जी
thanks abhishek ji
आपकी कविता के लिए एक ही शब्द कहूंगा “लाजवाब “l
तहे दिल से आभार राजीव जी आपका इस सराहना के लिए
आपतो सहित्य जगत के मणि हैं
जी नहीं सी एल शर्मा जी इतना बड़ा ख़िताब न दीजिये………………………में तो अभी सिखने की कोशिश में हु | मुझे आप जैसे विद्वानों का आशीर्वाद चाहिए | तहे दिल शुक्रिया आपका इस उत्साहवर्धन प्रतिकिर्या के लिए