हर अफसाने के पीछे तेरे, एक वजह दिखाई देती है,
हर दर्द के पीछे तेरे, कोई सजा दिखाई देती है,
अ दोस्त ये ही तो ज़िन्दगी है,जो कभी सजा तो कभी मज़ा दिखाई देती है!
अपने आंसू के सैलाब न बहा बेवजह,
इनकी भी कीमत है कुछ, ना लुटा बेवजह,
कल ज़रुरत हो किसी को जब इनकी, ऐसा नो हो की तू पत्थर बन जाये बेवजह!
गम ना कर उसका जो चला गया,
वफ़ा समझ उसकी कि वो तुझको छोड़ गया,
यही तो वक्त है तेरा तुझको जानने का,
किसके लिए बना है तू पहचानने का!
ज़िन्दगी नाम नहीं केवल मोहब्बत का
गर है …तो जा अब कहीं और दिल लगा।
रचना उतनी स्पष्ट नहीं है, थोडा और गंभीर प्रयास करें!
Bahut bahut dhanyawad appki pratikriya ke liye.
बहुत खूबसूरत. बस जैसा की सुरेन्द्र ने कहा अंत में जो आप कहना चाह रहें है थोड़ा भटक गया है.
Bahut bahut dhanyawad appki pratilriya ke liye.
Just continue writing. Gradually you will get more confidence. Nice…………………..
Thank you Vijay Kumar jee.