खिल जाती हो जो तुम होठों पे ऐ हंसी
ख़ूबसूरती में चार चाँद लग जाते हैं
चाहे कुछ भी हो मुकद्दर में
पर दिल में अरमान भर जाते हैं……..
ऐ हंसी आ जा तू मेरे पास
ताकि न बह पायें आंसू ग़मों के
खुशियाँ बिखेर दो होठों पे ऐसे
पोंछ जाना आंसू माँ का आँचल बनके…….
पंछियों सा गुनगुनाना है मुझे
उड़ना है नीले गगन पे
आ जाओ तुम ऐसे बन-ठन के
की पुरे हो जाए सारे अरमान इस दिल के……
ऐ हंसी तू हंसाती रहना तेरे आगे आंसू क्या चीज है
तेरे लुटेरे है चारो तरफ पर उनसे लड़ने की हिम्मत भी तो तुमने ही दी है…….
good shrija ji…………..
Thamx Mani ji…..
खूबसूरत……………
Thanku….
श्रीजा जी बहुत खुबसूरत रचना……!
Thanku surendra ji….