मैं, क्यों चलुँगा?
नहीं, मैं तो उड़ुँगा
पंख फैलाकर
उड़कर जाऊँगा
नीले आसमान की उस पार
जाँहा तारे -सितारे रहते हैं
और तारों -सितारों को तोड़कर
आँचल से बाँधकर लाऊँगा
उन तारों -सितारों से
वीर जवानों का
चरण सजाऊँगा
जो तैनात है देश की सीमा पर
लेह -लद्धाख मे
देश को बचाने के लिए
मैं क्यों चलुँगा?
नहीं, मैं तो उड़ुँगा
पंख फैलाकर
और उड़कर जाऊँगा
बागवान के बीच
जहाँ सुन्दर -सुन्दर
सुगन्धित फूल है
और उन फूलों को तोड़कर
माला बनाऊँगा
वीर जवानों के
गले में पहनाऊँगा
जो देश के लिए
लड़ रहे हैं
आपनी खून बहाकर
प्राणोँ को त्याग कर.
जरूर उड़ो दोस्त ……………………………………… बहुत ही बढ़िया !!
Bahut badhiya………..
देश भक्ति भावना सराहनीय है
welldone brother………………..
बहुत खूबसूरत…………..!