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अब के सावन जम के बरसें
खुशीयों को अब हम ना तरसें
तालाब पानी से भर भर जायें
सारा आलम नाचे गुनगुनायेंं
सावन ने हर ली सब की पीड़ा
बाग बगिचें में होती हैं क्रीड़ा
सूखे खतों में आयी हरियाली
गावों की ये बड़ी खुशहाली
@:-अभिषेक शर्मा
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अभिषेक जी आपकी रचना बहुत सूंदर है
तहे दिल से शुक्रिया मनी जी
Baarish Jaise garmi se raaht deti….sakoon deti….aapki rachna bhi waisee hi sakoon bhari…..
हार्दिक आभार बब्बू जी ऐसे आर्शिवाद बनाये रखे
जब सावन बरसता है तो धरती पर और मन में हरियाली आ ही जाती है …………………………….. बहुत बढ़िया अभिषेक !!
हार्दिक आभार सर्वजीत जी
अभिषेक अति सुंदर. तुम्हारी रचनाओं की सुंदरता बढ़ती जा रही है .
हार्दिक आभार शिशिर जी ऐसे आर्शिवाद बनाये रखे
अति सुंदर………………………………….बहुत बढ़िया अभिषेक जी……
हार्दिक आभार विजय जी ऐसे आर्शिवाद बनाये रखे
अभिषेक सावन पर थोड़ा और बड़ी रचना कीदरकार थी। इतनी पंक्तियाँ ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही हैं। आप अच्छा लिख रहे है। प्रयास जारी रखिये।