आसमान में लालिमा छाई,
अंधकार छठा, प्रभात वेला आई,
ठंडी ठंडी हवा का प्रवाह, लगा ऐसा,
चिड़ियों की चहचहाहट सुप्रभात कहने आई,
प्रभु के गुण गाती, धीमे से मन को आनन्दित,
करती मेरे कानो को हर धर्म की बाणी दी सुनाई,
कही से राम राम, अस्सलामे क़ुम, जय भोले,
सतश्री अकाल की प्यार, सम्मान से भरी आवाज़ आई,
हर कोई बड़ा शांत और हसमुख सा खुद को जी रहा,
कोई जोर जोर से हस्स रहा, किसी ने दौड़ लगायी,
फिर बढ़ने लगी भीड़, बच्चो को लेने स्कूल वाली वैन,
अख़बार वाला, दूध वाला, की आवाज़ ने नींद उड़ाई,
कुछ चल अपने दिए कामो पर, कुछ मंदिर, मस्जिद,
कुछ नयी उमंगो के साथ, फिर से प्रभात वेला आई,
आसमान में………………….
बहुत सुन्दर वर्णन मनी भाई…..
तहे दिल आभार सोनित जी आपका
खूबसूरत रचना……….प्रभात वेला आई…………
शुक्रिया विजय जी आपका
बहुत खूब……………!
शुक्रिया सुरेन्द्र जी तहे दिल से आपका
अच्छी रचना मनी जी……….
धन्यवाद चंद्रमोहन जी आपका
मणि जी बड़ा सुंदर चित्रण है प्रभात बेला का
किरण जी बस थोड़ा बहुत लिख लेता हु आपको अच्छा लगा मेरे लिए सौभागय की बात है, तहे दिल से शुक्रिया आपका आगे भी मुझे अपना मार्गदर्शन जरूर दे |
Ab pata chala kitni Jaldi uthate ho…..hahahaha…..bahut badhiya rang parbhaat vela ka dost….
हाहाहाहा…………………सर में आपको कभी मिला नहीं पर फिर भी में इतना जरूर कह सकता हु आप किसी को भी अपना दीवाना बना सकते है | बहुत बहुत शुक्रिया सी एम शर्मा जी आपके इस हौसलाअफजाई के लिए |
बहुत खूब…………… मनी !!
तहे दिल से शुक्रिया सर्वजीत जी आपका
बोहत खुब सिग्साहब …………………………………………………..बोहत खुब
अशफाक जी मेरे लिए बड़े सौभागय की बात है की आप जैसे कलम के जादूगर ने मेरी रचना को सराहा है………..तहे दिल से शुक्रिया सर
वास्तविकता भरा सुंदर चित्रण ……………….
तहे दिल शुक्रिया शिशिर जी आपका