गाँव टोला मुहल्ले में आज हुई है बाता-बाती
चलो इसे किसी तरह और बढ़ाएँ चलो आग भड़काए
लोगों को दो गुटों में बाटें उलटा-सुलटा समझाएँ चलो आग भड़काए
भाई-भाई का झगड़ा हो या हो किसी का रगड़ा
उसे जाती धर्म सम्प्रदाय से जोड़ धधकाए चलो आग भड़काए
इस आग को भड़का , समाज का नहीं तो
कुछ लोगों का शुभचिंतक कहलाए
लोग हमें अपना नेतृत्व थमाए
चलो आग भड़काए
जितनी बड़ी यह आहुति होगी
उतनी बड़ी मेरी प्रस्तुती होगी
जिस शिखर पर जाए यह आग
उस शिखर पर हम भी पहुँच जाए
चलो आग भड़काए।
चलो आग भड़काए॥
आपके भाव अच्छे हैं, एक बार “आतंक का खेल” और “जन्नत की आग” अवश्य पढ़ें.
धन्यवाद श्रीमान, जी बिलकुल अभी देखता हूँ।
सुन्दर …………..
धन्यवाद श्रीमान,