सुलझी सोच, सबल मन,
धृय निश्चय, अविचल विश्वास,
बाधाये दूर करके,
रास्ते बनाते जाते,
मंज़िल मिल ही जाती,
कड़ी मेहनत से|
पर स्वाभिमानी तू बन,
अभिमान आने न दे,
अहंकार को दूर भगा,
नम्रता को गले लगा|
न जाने किस किस की दुआ से,
अपने मुकाम पे पंहुचा तू|
इंसान न कद से,
न ही पद से,
बड़ा बनता,
अनुशाशन और सुविचारो से|
“अनु माहेश्वरी ”
चेन्नई
Anuji…..bahut hi khoobsoorati se aapne satya kaha hai……..
Thanks sharmaji, kavita pasand aane ke liye.
अति सुन्दर …………………
Thanks Abhishekji.
bahut badhiya anu ji…………………
Thank you, Maniji.
अति सुंदर रचना…………
Thanks Shishirji.
महत्तम रचना ………..
Thanks Dr Chhote Lalji.
बहुत खूब……….
Thank You, Vivekji.
बहुत ही खूबसूरत रचना…………….अति सूंदर…………
Thank You, Vijayji.
अनु जी बहुत ही खुबसूरत पंक्तियाँ लिखी है आपने।
Thank You, Surendraji kavita pasand aane ke liye.