मुबारक हो सबको समा ये
सुहाना
मैं खुश हूँ मेरे आसूओंपे ना
जाना
मैं तो दीवाना, दीवाना,
दीवाना
हजारों तरह के ये होते हैं आँसू
अगर दिल में ग़म हो तो रोते
हैं आँसू
खुशी में भी आँखे भीगोते हैं
आँसू
इन्हे जान सकता नहीं ये
ज़माना
ये शहनाईयाँ दे रही है दुहाई
कोई चीज अपनी हुई है पराई
किसी से मिलन है किसी से
जुदाई
नए रिश्तों ने तोडा नाता
पूराना
ये बोले समय की नदी का
बहाव
ये बाबूल की गलियाँ, ये
माँझी की नाव
चली हो तो गोरी, सुनो
भूल जाओ
न फिर याद करना, न फिर
याद आना
Waah….kya gaana likha hai mukeshji ka…sadabahaar…..
मै मुकेश जी और लता जी का बहुत बड़ा प्रसंशक हूं।।।