दिल के सबसे करीब रिश्ते जब झूठे निकलें
इंसान टूट कर बस यहाँ ठगा सा रह जाता है
कितनी भी कोशिशें करो फ़िर खुश रहने की
बैचैन दिल को फ़िर कभी चैन कहाँ आता हैं.
जिनमे दर्द ना हो वो रिश्ते भी कोई रिश्ते हैं
फ़िर भी निभाए इन्हे यहाँ जो सब फरिश्ते हैं
अगर ध्यान से देखोगे हँसते चेहरों की तरफ़
मुस्कराहट के पीछे भी छुपी गमों की दश्ते हैं
शिशिर मधुकर
Laajwaab………..
हार्दिक आभार बब्बू जी ……………..
ख़ूबसूरत रचना ………………………………. मधुकर जी !!
हार्दिक आभार सर्वजीत ……………..
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना …शिशिर जी
बहुत बहुत शुक्रिया अभिषेक ……….
सही कहा आपने, रिश्तों में दर्द स्वाभाविक है
बहुत ही बढ़िया रचना सर जी, लाजबाब!
शुक्रिया सुरेन्द्र ………………
आपने फिर भावों की गहराई में डुबा दिया. अति सूंदर रचना……………..
विजय आपकी सूंदर प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से शुक्रिया …………….
very deep…..heart touching lines……………..
Thank you so very much Maninder
खूबसूरत रचना शिशिर जी !
दिल से शुक्रिया मीना जी