गैर
अपने लोग ही गम देते हैं
दूसरे तो हाथ थाम लेते हैं ………………….
किसको अपना समझें किसको गैर
किससे दोस्ती रखें किससे बैर ……………………
ये तो पता तब चला जब बुरा वक़्त आया
अपनों ने हाथ झटक दिया गैरों ने गले लगाया
शायर : सर्वजीत सिंह
[email protected]
गैर
अपने लोग ही गम देते हैं
दूसरे तो हाथ थाम लेते हैं ………………….
किसको अपना समझें किसको गैर
किससे दोस्ती रखें किससे बैर ……………………
ये तो पता तब चला जब बुरा वक़्त आया
अपनों ने हाथ झटक दिया गैरों ने गले लगाया
शायर : सर्वजीत सिंह
[email protected]
bilkul shi kha sarvajit ji. bahut khoob.
बहुत बहुत धन्यवाद ……………………………… सोनित !!
बहुत खूब सर्वजीत जी………………
बहुत बहुत आभार…………………………… मनी !!
Lovely write Sarvjeet
Thank you very much Madhukar Jee.
sahi kaha aapne sir
बहुत बहुत धन्यवाद ……………………………… आनन्द !!
Aap kabhi galat ho hi nahin sakte janaab…. Bahut sahi….sateek….atyant sundar….
तहे दिल से शुक्रिया ………………………………… शर्मा जी !!
बहुत ही सत्य लिखा है आपने. बधाई……………….
बहुत बहुत धन्यवाद ……………………………… विजय जी !!