न डरूंगी मैं, न सहम जाउंगी
आज, कल और सर्वदा
शक्तिशाली रहूंगी मैं।
मेहनत और द्रढ़संकल्प से
न किसी के परोपकार से
अपनी पहचान बनाउंगी मैं।
राह मैं मुश्किलें अवश्य आएँगी
जब मेरे कदम व् आत्मविश्वास
दोनों ही डगमगायेंगे।
तब कुछ पल के लिए
अपनी गति धीमी कर लुंगी
पर
न डरूंगी मैं, न सहम जाउंगी
आज, कल और सर्वदा
शक्तिशाली रहूंगी मैं।।
और यही सोच मेरी ,
दिलाती है आत्मविश्वास
कि
आहट इन क़दमों की,
सुनती पड़ेगी तब तक
तबदील न हो जाएँ, ये एक छाप मैं जब तक।।
रचना के भाव अच्छे हैं……………..
मेहनत और द्रढ़संकल्प से
न किसी के परोपकार से
अपनी पहचान बनाउंगी मैं।
bahut khoob. sundar rachna
Kudos!!!!! Keep going…nthing can stop u…
Bahut khoob…….
nice composition ……..well expressed!
Thank you all for your appreciation to this poem
bahut badiya…………….