तन्हा सी जिंदगी अब तू मेरी परछाई बन जा
नाम नहीं रहा कुछ अब तू ही पहचान बन जा
तपिश का मे काला बादल तू मेरी बरसात बन जा
समुद्र की लहरों में ये दिल अब तू मेरा किनारा बन जा
शब्दों में ना रहा वो हुनर तू ही अब इन की लय बन जा
इश्क़ मे सारे वादे मंजूर हैं तू मोहब्बत का पैगाम बन जा
:[email protected]अभिषेक शर्मा
बहुत खूब………,,,………….
nice lines abheshek ji……………….
बहुत बढ़िया…..अभिषेकजी……
बहुत बढ़िया अभिषेक जी,……… आपकी रचनाये और भी गहरी होती जा रही है………बधाई
अभिषेक गहराई युक्त रचना. थोड़ा और सुधार करो रचना बेहतरीन हो जाएगी.
.बहुत ही बढ़िया……
बहुत खूब ………………………….. अभिषेक !!