मम्मी पापा की चाहत मै
इन्जिनियर डाक्टर बन जाऊ
पर कोई मुझसे ना पुछे,
मै क्या बनना चाहूँ
फूलों पर तितलियाँ
इतरायें इठलायें
पास आती देख मुझे
पल भर में उड़ जायें
उनको देख मै भी सोचूँ
काश तितली बन जाऊ
पर कोई मुझसे ना पुछे,
मै क्या बनना चाहूँ
आँगन मे ची-ची करती
गौरेया बच्चों संग आये
फुदुक फुदुककर चुगे दाना
सबका मन बहलाये
देख गोरैया मन हो मेरा
मै नील गगन मे उड़ जाऊ
पर कोई मुझसे ना पुछे,
मै क्या बनना चाहूँ।
मम्मी पापा के सपने में
मेरे सपने टूट गयें
जो चाहा मैने कुछ करना
मेरे अपने ही रूठ गये
व्याकुल मन बस यही कहे
मै सारे बन्धन तोड़ जाऊ
पर कोई मुझसे ना पुछे,
मै क्या बनना चाहूँ
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सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप”
बहुत ही संवेदनशील है आजकल के समय मैं….अपनी सही परशान उठाया है….माँ बाप अक्सर अपनी इच्छा से बच्चे को बनाना चाहते…बच्चे का मन क्या है…उसको नहीं जानते….पंछियों और उनके बच्चों के माध्यम से जो आपने एक स्वतंतर…स्वछन्द मन….का भाव पैदा कर समझाने का प्रयास किया है…अत्यन्त सुन्दर…..लाजवाब…….
धन्यवाद बब्बू जी, मेरी रचना से कही मूल्यवान आपकी प्रतिक्रिया होती है, जो हम जैसे को निरंतर मिलती रहती है।
खूबसूरत सत्यपरक रचना सुरेंद्र………….
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद सर जी!
बहुत अच्छा. आजकल देखा जाता है हर माँ -बाप अपने बच्चों को doctor या engineer ही बनाने चाहते हैं पर बच्चे के दिल की सुनते नहीं. इसलिए आखबर मे हम खुदकुसि की खबरें देखने को मिलती है. बच्चों के रूचि को भी देखना चाहिए.
सही कहा आपने चन्द्र मोहन किस्कू जी, वास्तविकता से आपने अवगत कराया जो मेरी रचना का मूल भाव है।
आभार आपका!
बहुत खूब सुरेन्द्र जी, बधाई…………….
आपकी बधाई सर आँखो पर विजय कुमार सिंह जी, अत्यंत आभारी हूँ आपकी प्रतिक्रिया के लिए
सुरेन्द्र जी बहुत बढ़िया विषय पर लिखा है आपने और बहुत खूबसूरती के साथ……………माँ बाप को समझना चाहिए उनका थोपा गया कोई भी निर्णय उनके बच्चे पर क्या असर डाल सकता है……………बहुत ही उम्दा
हाँ मनिन्द्र जी, आभार आपका
बहुत ही बेहतरीन………..सुरेन्द्र जी बहुत बढ़िया
अभिषेक शर्मा जी प्रतिक्रिया के लिए करबद्ध आभार
हर माँ बाप की अपनी इच्छा होती है पर बच्चे से जरूर पूछना चाहिए कि वो क्या बनना चाहता है ……………………. बहुत ही बढ़िया सुरेन्द्र जी !!
मेरा मानना है की लड़के की योग्यता और रूचि देखि जनि चाहिए। उस पर कुछ भी थोपना ठीक नहीं। प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ सर्वजीत सिंह जी।
बहुत सुन्दर कविता है,सुरेंदर जी
रिंकी राउत जी आपकी प्रतिक्रिया मेरा उत्साहवर्धन करेगी।
चाहे जितनी भी सराहना किया जाये कम है