कुछ अनजाने से ख्वाब अब इन आंखों में बसने लगे हैं
किसके अरमान हैं ये जो अब मेरे दिल में पलने लगे हैं।
अरमानों के इस मेले में तन्हां हैं मेरी अपनी ख्वाहिशें
दिल को बेकरार कर रही हैं न जाने किसकी हसरतें।
हसरतों के इस समंदर में क्यों डूब रहा है दिल मेरा
क्यों आज भी बेचैन करता है मुझे हर पल ख्याल तेरा।
ख्यालों के इस रहगुजर से गुजरे हैं हम भी कई बार
आज भी ये आंखें जाने क्यों कर रही हैँ तेरा इंतज़ार।
इंतज़ार की इन राहों में जाने कितनी बार आंखें रोईं
अब तो है उम्मीद मिले इस इंतज़ार को मंज़िल कोई।
Nice composition…………..!
dhanyvad surendra ji
Lakshmi, Did you post it before also? Appears to be already read.
nahi shishir ji yah yahan par first time hi post ki hai
एक अच्छी रचना. बधाई……………..चंचल मन पढ़ें पसंद आएगी…………..
Thanks vijay ji
beautiful……………
Thanks abhishek ji
bahut achi rachna……
Thanks mani ji.
Bahut khoobsoorat…….
Dhanyavad sharma ji