Homeविजय कुमार सिंहयुवा मन युवा मन विजय कुमार सिंह विजय कुमार सिंह 09/07/2016 13 Comments अभी तो पंछी उड़ा है मन का, पंख पसारे जोश उमंग का, ढूंढ रहा कोई साथी संग का, अपने ही जीवन के रंग का । विजय कुमार सिंह vijaykumarsinghblog.wordpress.com Tweet Pin It Related Posts संभल-संभल कर चलिए वक़्त जो थोड़ा ठहरता… धित्कार… About The Author विजय कुमार सिंह दिल के भावों को लेखनी का सहारा है, समाज को बेहतर बनाना कर्तव्य हमारा है. आइये आपका स्वागत है हमारे लेखन के दरबार में, पलकें बिछाए बैठे हैं हम आपके इंतज़ार में. EMAIL : [email protected] https://vijaykumarsinghblog.wordpress.com पटना, बिहार 13 Comments Shishir "Madhukar" 09/07/2016 Well done Vijay……….. Reply विजय कुमार सिंह 09/07/2016 Thank you very much sir. Reply mani 09/07/2016 wah vijay ji kya baat hai………………. Reply विजय कुमार सिंह 09/07/2016 Many many thanks mani ji. Reply RAJEEV GUPTA 09/07/2016 लाजवाब रचना है विजय जी l Reply विजय कुमार सिंह 09/07/2016 बहुत बहुत धन्यवाद राजीव जी. Reply C.m.sharma(babbu) 09/07/2016 Bahut khoob….yuva man ki udaan…. Reply विजय कुमार सिंह 09/07/2016 बहुत बहुत धन्यवाद SIR. Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 09/07/2016 दिल मांगे मोर…………..! बहुत खूब विजय जी, लगे रहिये Reply विजय कुमार सिंह 09/07/2016 ठीक कहा आपने मुझसे ज्यादा expectation हो गयी है. रोज कहाँ ऐसा होता है मन कुछ कहता है, कभी कभी तो वो भी गुमसुम-गुमसुम रहता है. सराहना के लिए धन्यवाद. Reply sarvajit singh 09/07/2016 युवा मन की उमंग को क्या दर्शाया है आपने ………………………….. बहुत ही बढ़िया विजय जी !! Reply विजय कुमार सिंह 09/07/2016 सराहना के लिए ह्रदय से आभार सर……….. Reply sarvajit singh 09/07/2016 वाह वाह …………………………………………. बहुत बढ़िया अमर जी !! Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
Well done Vijay………..
Thank you very much sir.
wah vijay ji kya baat hai……………….
Many many thanks mani ji.
लाजवाब रचना है विजय जी l
बहुत बहुत धन्यवाद राजीव जी.
Bahut khoob….yuva man ki udaan….
बहुत बहुत धन्यवाद SIR.
दिल मांगे मोर…………..! बहुत खूब विजय जी, लगे रहिये
ठीक कहा आपने मुझसे ज्यादा expectation हो गयी है. रोज कहाँ ऐसा होता है मन कुछ कहता है, कभी कभी तो वो भी गुमसुम-गुमसुम रहता है. सराहना के लिए धन्यवाद.
युवा मन की उमंग को क्या दर्शाया है आपने ………………………….. बहुत ही बढ़िया विजय जी !!
सराहना के लिए ह्रदय से आभार सर………..
वाह वाह …………………………………………. बहुत बढ़िया अमर जी !!