अब तो बच्चा छोटा है
खिलेोना और मीठाई
से ही बहल रहा है
और तुम निःचिन्त होकर
काम कर पा रहे हो
पर कल जब वह बड़ा होगा
स्कुल जाने लगेगा
और स्कुल से लेोट्कर
जब मांगेगा
पूरखों की समय की जंगल
जब देखना चाहेगा
शेर, भालू, सियार आदि
तब तुम क्या करोगे?
उसकी मांग पुरा नहीं
कर पाओगे
तुम्हें शर्म महसुस होगी
जब वह जिद पकड़ेगा
पहाड़ पर चढ़ने का
देखना चाहेगा हरा पेड़
खुले मे साँस लेना
चाहेगा ______
झरने की ठंडा पानी में
स्नान करना चाहेगा
तब क्या करोगे
सर को झुकाने के सिवा
अब तो वक्त है
बच्चा छोटा है
खोज सकोगे इसका समाधान
दे सकोगे प्रश्नों की जवाब
पहाड़-पर्वतों को बचा सकोगे
भविष्य को सुनिश्चित कर सकोगे
अब तो वक्त है
चाहोगे तो ___
कल बच्चों के प्रश्नों का जवाब
गुड़ घोलकर दे सकोगे
उसकी मांगें
प्यार के साथ दे सकोगे
अब तो वक्त है
बच्चा अभी छोटा है
रोपने से बीज
पेड़ तो बनेगा ही.
बहुत बढ़िया चंदर मोहन जी आपने सही कहा अगर अब न सम्भले तो आने वाले वक्त एक बुरी तस्वीर बन कर सामने आएगा | जितना हम प्रकर्ति से ले रहे है उससे कुछ तो वापिस करना चाहिए |
धन्यवाद मनी जी आपको मेरी कविता अच्छी लगती है.
Bahut hi sahi sandesh…..abhi nahin jaage toh andhera hi rahega……
धन्यवाद शर्मा जी प्रतिक्रिया देने के लिए………..
सोचने को बाध्य करती रचना, वाकई यही हालत रहा तो आने वाली पीढ़ियाँ तस्वीरों में ही बहुत कुछ देख पाएंगी, पर यह भी उतना ही सच है की परिवर्तन ही प्रकृति का सार्वभौमिक नियम है। प्रकृति के साथ हम खिलवाड़ करेंफे तो प्रक्रति हमारे साथ!
धन्यवाद सुरेंद्र जी…..