श्रेष्ठ होने की चाहत
और बुद्धि के बल पर
मानव अपनी जीवन शैली
बहुत परिवर्त किया है
अब गाँवों में
बिजली पहुंच गई है
मोबाइल सब कोई
व्यावहार कर रहे हैं
आखड़ा की बैठक
अब खत्म हो गया है
टेलिविजन की कर्यक्रम में ही
लोग मस्त है
कम्प्यूटर और इन्टरनेट की शक्ति से
अब पुरे दुनिया का खबर
पल में मिल रहा है
पुरा दुनिया ही
एक छोटा गाँव में बदल गया है
लोगों के दिल से
छुआ -छुत, जात -पात का
विचार खत्म हो गया है.
नारी भी अब
रसोईघर की भूगोल से बाहर निकल रही है
पर अब भी
कुछ छोटा सोचनेवाले
नारी की युवा देह पर
शासन करना चाहता है
अकेली अबला को
जमीन -जयदाद से
बेदखल कर रहे हैं
उन्हें डायन कहकर
जिन्दा जला रहे है.
☁?☁☁☁☁?☁
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I feel so sad
बहुत अच्छे किस्सू……….. कुछ स्तर तक कुटिल मानसिकता सर्वदा विधमान रहती है……….जो सतयुग में भी थी ………अब तो कलयुग है !!
धन्यवाद
सर जी
Bahut khooobb……
बहुत बढ़िया ………………………. !!