“तो हम ईद मुबारक कह लें”
कैराना में हिंदू रह लें
घर-घर ना आतंकी टहलें
हम सहते जाकिर ओवैसी
ये कमलेश तिवारी सह लें
बाबर की मस्जिद ये ढह लें
भारत माता की जय कह लें
आईएस के अत्याचारों से
इनके भी तो दिल दहलें
थोड़ी मानवता की तह लें
बँद करें जेहादी पहलें
हमको भाती है अजान तो
इनके दिल भजनों में बहलें
हाफिज जैसों की ना शह लें
भारत माँ की महिमा मह लें
गौवंशों पर जीभ चले ना
तो हम ईद मुबारक कह लें
तो हम ईद मुबारक कह लें
कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”
9675426080
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देवेन्द्र जी आपकी रचना में आपके ह्रदय कि आग नजर आती है !!
कोई जेहादी हो, आतंकवादी हो या किसी धर्म का अँधा प्रेमी….अंतत: उनके कारनामो का अंजाम तो सदैव साधारण मनुष्य को ही भुगतना पड़ता !!
चाहे किसी भी धर्म का हो, धर्मांध होना किसी आतंकी से कम नहीं होता………! प्रेम करुणा और दया ही अमन का राह खोलती है, धर्मान्धता
न की धर्मान्धता….
आभार आपका
निवातिया जी
सुरेन्द्र जी
पूर्णतः सहमत हूँ आपसे
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