दु:ख ऊँची नहीं होती
पहाड़ जैसा
और चैाड़ी भी नहीं होती
समुद्र जैसा
पर जिसके ह्र्दय मे
हर्ष और प्यार की कमी होती है
दु:ख बाढ़ के पानी जैसा
दैाड़ कर चली आती है
समाज में प्यार
न रहने पर
समाज की नियम धरम
न मानने पर
और अपनाें के बीच
सहयोग न रहने पर
दु:ख आषाढ़ की बारिश
जैसे बरसने लगेगें
Satya vachan……
Thanks…….. …..
truely said…………………..
धन्यवाद सर जी………………..
बहुत सही …………..
धन्यवाद
सर जी
truly said …………….!!
धन्यवाद…
सर जी
true lines………….!
धन्यवाद
सर जी
Nice ………………………………….. !!
bahut si sunder , heart ko chhu lene wali hardayviradak
ratnakar banda