नज़र सभी की है तुम्ही पे
तुम्हारी नज़र सब पे हो
यह ज़रूरी तो नहीं
पाना तुमको है हसरत हमारी
हो जाये वो पूरी
यह ज़रूरी तो नहीं
बहारों में खिलते हैं गुल हज़ारों
चरणों तक तेरे सब पहुंचे
यह ज़रूरी तो नहीं
जीवन काँटों को. भी दिया तूने
चुभन का पता उन्हें भी हो
यह ज़रूरी तोनहीं
आती हैं खुशियां ज़िन्दगी में
रुक पाएं. वह सदा के लिए
यह ज़रूरी तो नहीं
वादे इरादे. करते हैं हम
उन्हें. निभा पाएंगे सदा
यह ज़रूरी तो नहीं
गुज़रे ज़माने. की बातें याद आती हैं अक्सर
भुला पाएंगे उन्हें. कभी
यह ज़रूरी तो नहीं
फरक अपने बेगाने का होता है क्या
समझ पाएं हर नज़र को हम
यह ज़रूरी तो नहीं
रह जाती मन में खलिश कोई
मिटा पाएंगे उसे कभी हम
यह ज़रूरी तो नहीं
रात का अँधेरा भटका देता है शायद
दिन के उजाले में पा जायेंगे सब
यह ज़रूरी तो नहीं
करती हूँ. याद. पल हर पल. तुझे
पहुँच पाऊंगी तुम तक कभी
यह ज़रूरी तो नहीं
जिसकी नज़र दिल पे करती है असर
हो जाएगी रेहमत उसकी कभी
कोई ज़रूरी तो नहीं
सवाल अनगिनित हैं लेकिन
जवाब सबका मिल जाये
यह ज़रूरी तो नहीं
अपना तुम्हे. जब मान लिया
तुमने भी हमें जान लिया
कैसे कह दें फिर
तेरा आना मेरी ज़िन्दगी में
ज़रूरी तो नहीं
तुम्हे अब अपनाना. पड़ेगा
गले से भी लगाना पड़ेगा
भूले भटकों को रास्ता दिखना पड़ेगा
फिर हमारा होना या न होना
नहीं ज़रूरी,कुछ भी ज़रूरी नहीं
बेहतरीन रचना. सांसारिक और भक्ति दोनों भाव विद्यमान हैं.
धन्यवाद. शिशिर Ji
बेहतरीन रचना…………….
धन्यवाद विजय जी
बहुत ही खूबसूरत लाइन्स है आपने “नज़र सभी की है तुम्ही पे तुम्हारी नज़र सब पे हो यह ज़रूरी तो नहीं”
धन्यवाद राजीव Ji
सुंदर प्रस्तुति………………..!!
धन्यवाद निवातियाँ जी
लाजवाब रचना…………..किरण जी
धन्यवाद मणि. जी
किरन mam, बहुत खूब…..!
सुरेंदर जी बहुत २ धन्यवाद
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना …………………………. !!
बहुत बहुत धन्यवाद सर्वजीत सिंह जी
इतनी खूबसूरत रचना की तारीफ़ जरुरी तो नहीं…… बहुत जरुरी है। बहुत खूब…उम्दा…
हरेंद्र्रा जी सराहना के लिए. बहुत बहुत. धन्यवाद ,आभारी हूँ