“कलम दम तोड़ती है”
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“लिखती है कलम
कागज़ के पन्नों को चूम के
बरसाती है स्याही मोहब्बत में
कोरे कागज़ पर झूम के,
अज़नबी अहसासों से
हर हर्फ़ उकेरे जाते है,,
एक ही हर्फ़ हरबार
कुछ नया फरमाते है
हर लकीर के साथ
अपने निशान छोड़ती है,
हर बार कलम,
कागज़ की बाहों में आकर दम तोड़ती है।”
-हरेन्द्र पंडित
Harendr ji, marvelous…… keep it up
Bahut khoob…..
Nicely written…………………………
Beautiful………………..!!
बहुत बहुत शुक्रिया आप सभी का ..