बल और बुद्धि उन्नति की जवानी होती है ।
जिदंगी कि मुश्किलो से निपटने की कहानी होती है ।
गलती से भी अगर हो जाये शामिल गुरूर इनमे
ये फिर उस इंसान के पतन कि निशानी होती है ।।
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डी. के. निवातियॉ[email protected]@@
बल और बुद्धि उन्नति की जवानी होती है ।
जिदंगी कि मुश्किलो से निपटने की कहानी होती है ।
गलती से भी अगर हो जाये शामिल गुरूर इनमे
ये फिर उस इंसान के पतन कि निशानी होती है ।।
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डी. के. निवातियॉ[email protected]@@
बिलकुल सही बात लिखी है आपने, गुरुर इंसान के पतन का कारण बनता है. सुंदर रचना ……………..
बहुत बहुत धन्यवाद विजय आपका !!
बहुत खूब निवातियाँ जी…………..गरूर इंसान को ऐसे दलदल में धकेल देता है जिसमे से निकलना नामुमकिन होता है
बहुत बहुत धन्यवाद मनी ………..!!
बहुत ही अच्छा सर किसी को भी गुरुर नहीं करना चाहिए!!
बहुत बहुत धन्यवाद आनंद !!
बहुत सुंदर बात …………..
शुक्रिया शिशिर जी।
अति उत्तम संदेश…., सुन्दर और सीख भरी रचना !!
बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी।
लाजवाब ………………….. अति सुन्दर निवातियाँ जी
बहुत बहुत शुक्रिया आपका अभिषेक ।।
अनुभव परक बात को कलम बद्ध किया है आपने निवातिया जी…..! मेरी बधाई
तहदिल से शुक्रिया आपका सुरेन्द्र ।।
Ghamnd buddhi har leta….buddhi vaani kharaab kar deti…vaani relation….aapki kalam ka aisi lekhni se Jo sabke hit mein hai…ke saath bahut pyara atoot rishta hai…. Sadaiv ki tarah laajwaab….
अनेको अनेको धन्यवाद आपका बब्बू जी ।।
वाह क्या बात है, बहुत ही बढ़िया …………………….. निवातियाँ जी !!
बहुत बहुत शुक्रिया सर्वजीत जी …!!
चार लाईनों में जीवन जीने का उत्तम संदेश । बहुत खूब सर ।
बहुत बहुत शुक्रिया हेमचन्द्र …!!
सच्चाई से ाोत-प्रोत रचना है निवातियाँ जी l बहुत खूब
बहुत बहुत शुक्रिया राजीव आपका …!!