रात घिरी कारी कजरारी
आ कर दीप जला. जाना
अंधकार में घिरी मुरारी
बंसी मधुर बजा जाना
मन वीणा सो सी गयी
झंकार इक सुना जाना
मिलन की इक प्यास जगी है
आकर उसे बुझा. जाना
सुर गीतों के खो से गए हैं
चाँद सितारे सो से गए हैं
आकर अलख जगा जाना
बुझते दीप जला जाना
कारे तुम कजरारी. रात
जो मैं. तुमको. ढून्ढ न. पाऊं
मेरे सपनो में तुम. आ जाना
आकर. गले लगा जाना
बुझते दीप जला जाना
मौन. गुमसुम. सी. रातों. में
वीणा के तार. सजा जाना
कोई मधुर गीत सुना जाना
हो बरसात यां चांदनी रात
चुपके से तुम आ. जाना
भीगे भीगे मौसम में
रस बूँदों का टपका जाना
लिए. नैना. कारे कजरारे
सपनो में तुम आ. जाना
मधुर मुस्कान लिए अधरों पे
मीठे राग. सुना जाना
फंसे हैं विषय वासनाओं में हम
आके मुक्त करा जाना
धुन बंसी की सुना कर तुम
अमृत पान करा जाना
बीत न जाये. यह जीवन योँ ही
सीधी राह दिखा जाना
घिरी रात कारी कजरारी
आ कर दीप जला जाना
Georgious song …………Welcome back Kiran Ji….seeing after long time !!
Thanks Nivatian Ji ,,yes I was not writing for some time ,due to travelling. Here and there
Bahut sundar….Waah kya baat hai….
Sharma ji thanks for appreciating
किरन जी बहुत ही मधुर रचना।
Thanks basudev Ji
Kiran ji, welcome back, nice composition……. you throw bouncer by this composition……. appreciable ….!
Thanks Surender Ji .for appreciating my poem ,thank u
बेहतरीन भजन किरण जी………….
धन्यवाद शिशिर जी
मधुर भजन किरण जी………….
धन्यवाद. विजय जी