देखो गले मिलते सनी व सत्तार सबकों ईद मुबारक
रब तू भर दे हर दिल मे प्यार सबकों ईद मुबारक।।
हर कोई खुश हो यहाँ गम का नामोंनिशान न हो
भर जाये सबकी झोली अपार सबकों ईद मुबारक।।
सेवई खायें और खिलाये, बैरी को भी पास बुलायें
हर दिल मे बजायें मधुर झंकार सबकों ईद मुबारक।।
फर्क रहे न कोई हमारे बीच अमीरी और गरीबी का
मिल कर सजाये रब का द्वार सबकों ईद मुबारक।।
रब से दुआ माँगता है यह कुशक्षत्रप हाथ जोड़कर
बन्दों के नेक सपने कर साकार सबकों ईद मुबारक।।
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सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप”
खूबसूरत बधाई रचना सुरेंद्र ………
शिशिर जी धन्यवाद!
धन्यवाद शिशिर मधुकर जी…..!
लाजवाब …………………… सुरेन्द्र जी ईद मुबारक !!
आपको भी ईद मुबारक भाई सर्वजीत सिंह जी….!
Atyant sundar….Waah….Eid Mubarak…..
धन्यवाद बब्बू जी, आपको भी ईद मुबारक…!
पहले तो आपको ईद मुबारक……………… सुरेन्द्र जी बहुत ही लाजवाब रचना रची है आपने, सपने जरूर साकार होगे पर कुछ वक्त लगेगा…….आप ऐसे ही लिखते रहे |
मनिंदर जी नेक प्रतिक्रिया के लिए निशब्द हूँ, आपको भी ईद मुबारक!
ईद की बधाई के लिए आपको भी बधाई…………………..
विजय जी मेरी भी आपको ईद की बधाई!
बहुत बहुत बधाई हो सुरेन्द्र आपको …………ईद की लख लख शुभकानायें………!!
धन्यवाद निवातियाँ जी आपको, मेरी भी आपको कोटि कोटि बधाई
बहुत खूब लिखा है आपने “रब से दुआ माँगता है यह कुशक्षत्रप हाथ जोड़कर
बन्दों के नेक सपने कर साकार सबकों ईद मुबारक।” अति सुंदर रचना सुरेन्द्र जी आपको भी ईद मुबारक l
राजीव जी इतनी खुबसूरत प्रतिक्रिया के लिए निशब्द हूँ, कोटि कोटि आभार आपको और ईद मुबारक!