Homeगोपालदास 'नीरज'तन की हवस तन की हवस विनय कुमार गोपालदास 'नीरज' 16/03/2012 No Comments तन की हवस मन को गुनाहगार बना देती है बाग के बाग़ को बीमार बना देती है भूखे पेटों को देशभक्ति सिखाने वालो भूख इन्सान को गद्दार बना देती है Tweet Pin It Related Posts पीर मेरी, प्यार बन जा दो गुलाब के फूल छू गए जब से होठ अपावन मेरे बेशरम समय शरमा ही जाएगा About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.