उसकी पेट में भी
भूख है
धू-धू कर
आग जल रहा है
हाँ -हाँ शेर के जैसी भूख
मुह फाड़ कर खड़ा है
उसकी पीठ से भीड़ा पेट में
गरम भात की नहीं
एक टुकड़ा सुखी
रोटी का भी नहीं
मान और ईज्जत
पाने का भी नहीं
उसकी पेट में है
समाज को सुख से
रखने की भूख
सभी को समान
अधिकार मिले
गरीब भूखे पेट
न रहे
उन्हे भर पेट भोजन मिले
उसका भूख.
इरोम को याद करने के लिए आपको धन्यवाद देता हूँ,कोई तो है जो इनकी ज्स्बे को सलाम कर रहा है!
अति सुंदर…… ।।
बहुत ही बढ़िया ………………………. !!
Bahut khoobsoorat……