आज दिन में मैंने….चाँद निकलते देखा….
कुछ परेशान…उदास सा…
ऐसा लगा पल को….
मैंने सपना देखा…
आज दिन में मैंने…चाँद निकलते देखा….
सोचा शायद यह भी….
तनहा रहा रात भर…
भटक गया महबूब की याद में….
इतना कुमलाया सा देखा….
आज दिन में मैंने….चाँद निकलते देखा….
अचानक उसकी उदास आँखों में चमक सी आ गयी…
चेहरे पे चिर परचित मुस्कान छा गयी….
वो एक टक कहीं देखे जा रहा था….
मैं उसकी सुंदरता को निहारे जा रहा था….
आज दिन में मैंने….चाँद निकलते देखा….
एक मजबूर औरत ठेले पे….
अपने लाचार पति को ले जा रही थी….
पसीने से तरबतर थी..शारीर जैसे साथ छोड़ रहा हो…
पर मोहब्बत से लबालब थी….
चाँद को उस पे छाया करते देखा……
सूरज शर्मिंदा होते बादल के टुकड़े में छिपते देखा….
आज दिन में मैंने….चाँद निकलते देखा…..
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/सी.एम. शर्मा (बब्बू)
बब्बू जी समूर्ण रचना का सार अंतिम पद में समेट कर उसे सही मुकाम पर पहुंचा दिया………आपकी विचारशीलता बहुत कमाल है ………ढेरो बधाई और ह्रदय से धन्यवाद !!
Your love and affection shown are priceless and I cannot express my gratitude in words…. As it has touched my soul….
बब्बू जी बहुत खूब. चाँद के यहाँ जो भी अस्वस्थ है वो जल्दी स्वस्थ हो ऐसी कामना है.
Abundance love in your wishes have no match in words…my heart and soul feel indebted…madhukarji….
अति सुंदर रचना…………………………
Aabhaar….aap ka dil se…..
क्या खूब वर्णन किया है बब्बू जी. और ये पंक्तियां “चाँद को उस पे छाया करते देखा……सूरज शर्मिंदा होते बादल के टुकड़े में छिपते देखा….” सारा सार जैसे इन्ही में सिमटा दिया आपने. बहुत बहुत खूब. आपकी विचारशीलता को प्रणाम है
Sonitji….aapko main kin shabdon mein dhanyawaad kahoon….dil ko choo gayee pratikirya……bahut Bahut aabhaar….
बहुत ही खूबसूरत…. बेहतरीन…लाजवाब…..उम्दा……..सी एम शर्मा जी
Dil ke har kone se aapke pyar ka aabhaar….dost….aapki pratikirya bhi aapki tarah laajwaab….
बेहतरीन …..,चिन्तन ,बेहद खूबसूरत रचना शर्मा जी !
Meenaji….aapke mukh se behtareen nikla maano bahut nayaab tohfa mila…..bahut bahut aabhaar….aapki pasand ka….
वाह क्या बात है शर्मा जी ………………………………. लाजवाब !!
Laajwaab hi laajwaab kah de toh dil kya kare….dance karega hi…..tahdil se aabhaar aapka…..
बहुत गहराई तक सोचते हैं आप सर ….ये एक बेहतरीन उदाहरण है आपकी गहरी सोच का……उत्तम रचना
Ankitaji….aap khud bahut achha likhti hain
…soch kamaal ki hai…. Aapko Meri soch pasand aayee….samjho chaand din mein hi nikla karta hai…..bahut bahut aabhaar dil se….
बब्बू जी क्या एकांत में जीवन यापन कर रहे है क्या ज्योकी ऐसा गंभीर विचार की कल्पना मै एक आम इन्सान और घर गिरस्ती में उलझे इन्सान से नहीं कर सकता…..दिल से बधाई मित्र!
Hahahahaha…..aapki pratikirya aap ki dekhni ki tarah hi goodh hoti hai….aapki sangat ka asar hai janaab….or kuchh nahin…. Tahdill se aabhaar….I am not comfortable writing from mobile…so pardon me if any word is not appropriate….
बब्बू जी बहुत खूब. लाजवाब
Bahut bahut aabhaar dil se……..
बब्बू जी ,बहुत ही ख़ूबसूरत रचना है ,प्यार क्य२ करवाता है ,इस भावना ने दुनिया को बाँध रखा है
आप बिलकुल सही कहती हैं………तहदिल आभार आपका….मेरी रचना को नज़र करने के लिए….मैडमजी….