धर्म जब केवल ठेकेदारों की किताब हो गया
आम जन के लिए समझो वो खराब हो गया
ऐसे में स्वार्थसिद्धि के सब कई षड्यंत्र करेंगे
जिसका मूल्य सदियों तक निरीह लोग भरेंगे
किताबों में लिखी कुछ बातों की देंगे ये दुहाई
जन जन के बीच कराएंगे ये सब बड़ी लड़ाई
पर ज्ञान की तो सोचो कोई सीमा नहीं होती
पुरानी लिखी बातें भी हैं अक्सर गलत होतीं
वक्त के संग इसलिए जो आगे ना बढ़ सकें
कुचल दो उनके सर कि वो छल ना कर सकें.
शिशिर मधुकर
वाह शिशिर सर क्या खुब कहा
Thank you very much Prakash
सत्य वचन …………….शिशिर जी !!
Thank you so very much Nivatiya ji
सत्य का बखान करती अति सुन्दर रचना……………………..
Thanks Vijay for responding
“धर्म जब केवल ठेकेदारों की किताब हो गया
आम जन के लिए समझो वो खराब हो गया.”
बहुत खूब सर. बड़ी स्पस्टता के साथ सच्चे धर्म को परिभाषित किया आपने.
Thank you so very much Sonit for commenting
बहुत बढ़िया शिशिर जी …………………………..
Thanks Maninder………….
बेहतरीन…….,रचना शिशिर जी !
हार्दिक आभार मीना जी…………….
बहुत बढ़िया ………………………………. मधुकर जी !!
Thanks Sarvjeet……………..
बहुत खूब कहा सर आपने …हकीकत बयान कर दी समाज की…..
Thank you so much Ankita for reading and commenting
Kamaal hai….yatharth ko samete saath mein Uske nivaran ka upaaye….Sach hai jab tak in sab ko sakhti se na nipta jaaye…or dooahit hoga samaaj….behatareennnn….
So nice of you Babbu ji for elaborate comment.
धर्म के दुकानदारो और ठेकेदारों के कारन ही सर लोगो का धर्म पर से यकीं हटता जा रहा है, जिनसे उम्मीद है धर्म की बाबत कुछ करने की, वाही कत्लेआम करा रहे है, आपको ऐसे विषय पर इतनी खुबसूरत रचना के लिए प्रणाम करता हूँ…!
So nice of you Surendra for this lovely comment.