हर गली हर चोराहे में कितने खुल चुके है ठेके,
मुझे तो अपने ही घर से मद बू आ रही है,
स्कूल जर्जर हालत में, गिरने को तैयार,
ठेके कर दिए ऐ सी, सियासत लाखों कमा रही है,
सरकारी दफ्तरों में फाइलें दबी पड़ी इस आस में,
पगार के साथ, बच्चों की मिठाई फ्री आ रही है,
बुढ़ापा पेंशन, विध्वा पेंशन, सर्विस पेंशन,
बैंकों में हर रोज दम तोड़ती नज़र आ रही है,
बेरोज़गारी, महंगाई का युग बढ़ता ही जा रहा,
और भूखे पेट सियासत हमसे योग करवा रही है,
दम तोड़ रहा किसान, बंद होने को व्यापार,
जाने कैसे देश में तेजी की रफ़्तार आ रही है,
कोई लिखता ही नहीं रिपोर्ट पुलिस थानों में,
और सियासत बेटी बचाओ का कार्यक्रम चला रही है,
कितने ही गैर कानूनी संगठन के लोगो को,
कही मंत्री तो कही मुखी सियासत बना रही है
किसी मुद्दे पर दाल ना गली, तो कह दिया,
जो हो रहा पडोसी मुल्क की सियासत करवा रही है,
शख्श बदलते हर रोज सियासत की इस दुनिया में,
लिखते रहना “मनी” धीरे-धीरे ही सही लोगो को समझ आ रही है |
बेहद खूबसूरत रचना मनिंदर
बहुत बहुत शुक्रिया शिशिर जी आपका उत्त्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रया के लिए
लाजवाब बेहतरीन उम्दा रचना
तहे दिल से शुक्रिया डॉक्टर छोटे लाल जी आपने मेरी रचना को पढ़ा और उत्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रया दी |
लाजवाब बेहतरीन उम्दा रचना ……….
वर्तमान व्यवस्था कार्य प्रणाली पर अच्छा चिंतन …………..बहुत अच्छे मनी !!
शुक्रिया निवातियाँ जी इस सरहाना के लिए
आजादी के पहले तक की राजनीती लुटनेवाली राजनीती थी आजादी के बाद लूटनेवाली राजनीती हो गयी. अति सुंदर रचना…………………………
thanks vijay ji…………….
लाजवाब रचना ……मनी जी
thanks abhishek ji
बहुत ही बढ़िया …………………………….. मनी !!
शुक्रिया सर्वजीत जी इस सराहना के लिए
Maja aa gaya maniji…..waaaaaaaaahhhhhhh
बहुत बहुत शुक्रिया सी एम शर्मा जी इस प्यार से भरी सराहना के लिए
मनिंदर जी लाजबाब, बेहतरीन दोस्त, आपने तो पूरी सियासत का काला चिटठा रख दिया!
बस आपके उत्साहवर्धन का का कमाल है……………..सुरेन्द्र जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका |
एक कवि कि सुन्दर कविता ☺
thanks vinay ji