जय जयति माँ हँसारिणी, निज दास को वरदान दे ।
दे कर कृपा का वरदहस्त, इस लेखनी को मान दे ॥१||
जय जयति…
हे शुभ्रवस्त्राधारिणी ! जड़ भक्त की जड़ता हरो |
सदबुद्धि का वरदान दे, मन ज्ञान को चेतन करो ||२||
जय जयति…
तेरे श्वेत वस्त्रों के सदृश, मेरी आत्मा भी श्वेत हो |
रहे ज्ञान की वर्षा सदा, मन ना तनिक अश्वेत हो ||३||
जय जयति…
हे मातु वीणावादिनी ! तेरे स्वर में मन डूबा रहे |
तेरे वाद्ययंत्र की गूंज में, मेरी आत्मा पुलकित रहे ||४||
जय जयति…
तेरी वीणा की झंकार से, मेरा मन प्रफुल्लित हो सदा |
तेरे ज्ञान का आलोक, मेरे अंतर में हो सर्वदा ॥५||
जय जयति…
मेरी लेखनी जब भी चले, तेरी कृपा मेरे साथ हो ।
मुझे कुछ भी और न चाहिए, बस शीश पर तेरा हाँथ हो ॥६||
जय जयति…
हे मातु विद्यादायिनी ! तेरी दया जो मिल गयी ।
अज्ञान का तम चीर कर, मेरी नौका पार उतर गई ॥७||
जय जयति…
मेरी लेखनी की नाव पर, तेरी कृपा की पतवार हो ।
हे ज्ञानदायिनी मातु, मेरे लेखन का उद्धार हो ॥८||
जय जयति…
मेरी लेखनी पर तू विराजे, दया अपनी संग लिए ।
अज्ञान छंटता जाय , ज्ञान का हो उदय सबके लिए ॥९||
जय जयति…
तेरी कृपा हूँ माँगता, मेरी विनती पर माँ ध्यान दे ।
आशीष हस्त मेरे सर पर रख दे, दया का वरदान दे ॥१०॥
जय जयति…
सदगुण व्यापें जगत में, दुर्गुण सारे दूर हों ।
बहे ज्ञान की मंदाकिनी, निर्मलता से मन भरपूर हों ||११||
जय जयति…
अहंकार दंभ न चाहिए, बल की नहीं इच्छा मुझे |
बस ज्ञानदीप हो प्रज्वलित, अन्तर की ज्योत ना बुझे||१२ ||
जय जयति…
हूँ माँगता वरदान दे, अज्ञानता का नाश हो ।
तेरी कृपा से अब जगत में, ज्ञान का ही प्रकाश हो ॥१३||
जय जयति…
तेरी कृपा का याचक हूँ मैं, तेरी आरती नित प्रति करूँ |
आशीष पात्र बन तेरा, तेरे ज्ञान से अन्तर भरूँ || १४ ||
जय जयति…
सुंदर वंदना ………..।।
आदरणीय निवातियाँ जी आपका धन्यवाद अपने विचारों से मुझे सदैव लाभान्वित करें |
Khoobsoorat……
आदरणीय शर्मा जी आपका आभार
Nice prayer…………….
आदरणीय शिशिर जी आपका धन्यवाद
मां सरस्वती की सुंदर वंदना…………………………….
धन्यवाद विजय जी