एक ऐसे भारत की कल्पना करती हूँ..
जिसे कभी गाँधी के सपनों ने संजोया था
उसको पूरा करने के लिए शहीदों ने प्यार का बीज बोया था….!
ऐसे भारत की चाहत में न जाने कितनी माओं ने अपना बेटा खोया था!
जिस भारत को पाने की खातिर फांसी झूले सैनानी
जिन्होंने लड़ते लड़ते गौरो को याद दिला दी नानी
मर्दों के भी छक्के छुड़ा दे ऐसे लड़ी थी वो मर्दानी
कहते हैं जिसको हम झांसी वाली रानी..!!
उसके अंदर भी भारत को पाने का सपना था
उसके लिए भारत ही उसका अपना था
ऐसे ही भारत की कल्पना करती हूँ मैं…!!!
देश पे नाज़ करने का सपना रखती हूँ मैं.
जहां रामराज़ फिर आएगा
तिरंगे को देख कर… सम्मान में सिर झुक जाएगा
जहां बेटा बेटी में फर्क न किया जाएगा
शादी के दो दिन बाद ही बहु को न जलाया जाएगा
आरक्षण को छोड़ हुनर परख कर अफसर लगाया जाएगा..!!!!
उस दिन मेरा देश आज़ाद कहलाएगा…..!!
इस कल्पना को पूरा करने का सपना रखती हु मैं…
अपने भारत पर गर्व करने का सपना रखती हूँ मैं..
:-कविता शर्मा
Waah….bahut pyare…. khoobsoorat…. ojpooran bhaav….atyant sundar….
धन्यावाद
देश प्रेम के प्रति सकारात्मक विचारधारा को बल प्रदान करती अच्छी रचना …आज के युवा वर्ग मे यह सोच जाग्रत करने की आवश्यक्ता है…अती सुन्दर भाव कविता ।।
Nice dream…………
thank you
धन्यावाद
सुंदर रचना………….. एक बार “हम हो गए कंगाल” पढ़ें.
jee jarur or dhanyavaad
Thanks Kavita ji,
Your poetry is very expressive..The feeling and passion of patriotism emerges in each word . I am specially appreciating ” MERI KALPANA” as i opted it for my daughter’s poem recitation competition and she stood first among all. She got a special applaud for it. I respect you for your thoughts that u express. Thanks again Mam.