बेहिसाब दर्द था, तेरे दिए जख्मो में,
फिर भी ख़ुशी ढूंढ ली, तेरे किये सितमो में,
बहाने मुझे भी आते है बेहिसाब बनाने,
मुस्कराहट लिए चेहरे पर, आऊंगा तुझे जलाने,
गरूर ना कर अपनी मदमस्त खूबसूरत जवानी का,
जरा सोच शिकवा किससे करेगी ढलती जवानी का,
वक्त है अब भी सम्भल जा, क्या पता जिंदगी की रवानी का ?
सोचना मत फिर कहाँ चला गया :मनी” हिस्सा था मेरी कहानी का ?,
वाह मनी बेहतरीन ……..
शुक्रिया शिशिर जी आपकी इस सराहना के लिए
बहुत खूब मनीजी !!
धन्यवाद आदित्य जी……………….
अति सुंदर ……मनी
बहुत बहुत आभार निवातियाँ जी आपकी इस सराहना के लिए
बहुत ही बढ़िया ……………………… खूबसूरत रचना मनी !!
बहुत बहुत धन्यवाद आपकी इस प्रतिक्रया के लिए………सर्वजीत जी
बहुत ही खूबसूरत…….वाह…..
तहे दिल से शुक्रिया सी एम शर्मा जी आपकी इस सराहना के लिए
अति सुंदर रचना…………………………
शुक्रिया विजय जी इस उत्साह भरी सराहना के लिए