मछली कैसे जीती जल में
…आनन्द विश्वास
मछली कैसे जीती जल में,
टीचर से पूछूँगी कल मैं।
जीना चाहूँ जो मैं जल में,
जान सकूँगी उसका हल मैं।
जो ऐसा सम्भव हो पाया,
तो मैं घूमूँगी जल-थल में।
मछली के संग होगी यारी,
दोस्त बनेंगे ढ़ेरों पल में।
सात समुन्दर पार करूँगी,
छू पाऊँगी सागर-तल मैं।
सागर का अनमोल,खजाना,
जा देखूँगी अपने बल, मैं।
…आनन्द विश्वास
अति सुन्दर……………………………
आनन्द जी बाल कविताओं में तो आपका सानी नहीं.
बाल कविता की एक अनुपम रचना…….. श्रीमान आपको प्रणाम करता हूँ…!
बहुत खूबसूरत आनन्द जी……………..
आनंद जी आपके पास बालवर्ग के लिये आनंद का अपार भंडार है …अति सुंदर ।।
Waaahhj….kya sundar bhaavon ka khajaana bhara hai…..behtareen….