होगा नया कोई रास्ता
होगी नयी कोई डगर
छोड़ अपनी राह तुम
चली आना सीधी इधर||
मार्ग को ना खोजना
ना सोचना गंतव्य किधर
मंज़िल वही बन जाएगी
साथ चलेंगे हम जिधर||
कुछ दूर मेरे साथ चलो
तब ही तो तुम जानोगी
हर ओर अजनबी होंगे
लेकिन ना होगा कोई डर ||
तुम अपनाकर मुझे
अपना जब बनाओगी सुनो
हम तुम वही रुक जाएँगे
होगा वही अपना शहर||
खुशियाँ, निष्ठा, समर्पण,त्याग, सम्मान की
ईट लगाएँगे जहाँ
प्रेम के गारे से जोड़
हम बनाएँगे अपना घर ||
© शिवदत्त श्रोत्रिय
बहुत खुब ………………
Sukriya Abhishek ji
बहुत खूबसूरत ……….!!
बहुत आभार आपना निवातियाँ जी .
Beautiful…………………………….
thanks vijay ji
Beautiful………….
bahut bahut aabhar ankit ji
बेहतरीन शिवदत्त जी…………!
बहुत आभार सुरेन्द्र जी…………!
बेहद सुन्दर रचना ……
sukriya Shishir ji aapka
Bahut pyara Ghar…..Pyaar ka….
bahut bahut sukriya babbu ji….