(सावधानी: मेरा अनुरोध है की इस रचना को पढ़ने से पहले मेरी रचना “कवि महोदय” पढ़ें….उस को पढ़े बिना इस को पढ़ेंगे तो आँखों में एलर्जी…पेट में ऐंठन की शिकायत हो सकती है…जिसका मैं जिम्मेवार नहीं हूँगा)
बड़ी मेहनत..मशक्त..शिद्दत से हमने कविता लिखी…
कोई पढता ही नहीं….
अपनी ही प्रशंसा करने में व्यस्त हैं सब….
मेरी कोई करता ही नहीं….
इतनी बेरुखी हमसे क्यूँ है हे कविजनो….
कि किसी को मैं जंचता ही नहीं….
क्यूँ बार बार मुझे ही बताना पड़े है कि मैं भी कवि हूँ…
अभी अभी एक ने कविता लिखी…
५ मिनट में १० जवाब लाजवाब के बिना वजह आ गए…
मुझे एक भी नहीं….
मुझे सब खबर है इसमें भी राजनीति हो रही है….
अपने अपने मतलब को ही लाइक हो रही है….
सब विरोधी खेमे का हाथ है….
डरते हैं मेरी रचनाओं से…..
इस लिए आपस में कानाफूसी करते हैं….
मेरे खिलाफ साजिश रचते रहते हैं….
सच तो ये है मेरी ही रचनाओं को तोडा मरोड़ा गया है….
कविता के तथ्यों से खिलवाड़ कर अपना नाम जोड़ा गया है….
सब पत्रकार…चैनल वाले उनका ही गुणगान कर रहे हैं…
मुझ से क्यूँ नहीं मिल रहे हैं…
मैं अपने ही अखबार…चैनल शुरू करूंगा…
खुद ही “अपनी कविता” लिखूंगा…खुद को ही सुनाऊंगा….
वाह वाह…बहुत खूब…लाजवाब…अप्रतिम जवाब…
खुद ही अलग अलग नामों से लिख कर छपवाऊँगा….
यूं चुटकी बजाते ही पॉपुलर हो जाऊँगा……
किसी की रचना गर आयी छपने तो उसका नाम काट…
अपना चिपकाऊंगा…..कॉपीराइट अपने नाम करवाऊंगा…..
यूं अपना ही सिक्का चलाऊंगा…..
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/सी.एम. शर्मा (बब्बू)
शत प्रतिशत सत्य. मुझे आँखों में एलर्जी नहीं होगी न ही पेटों में ऐठन. लेकिन आपने बिलकुल सही लिखा है जो आज बहुतेरों लोग अपना रहे हैं, दूसरे के ज्ञान से सुर्खियां पा रहे हैं.
पसंद करने का शुक्रिया….आभार…..
Really a good poem by Mr Sharma
पसंद करने का शुक्रिया….आभार…..
बहुत खुब …………………………….बब्बू जी
बहुत बहुत शुक्रिया आपका……
सी एम शर्मा जी यूनिवर्सल सच कह दिया आपने…………..बहुत खूब
कॉपी पेस्ट का जमाना आ गया,
देख भाई रिलीज़ होने से पहले डुप्लीकेट आ गया,
हम तो किताब छपवाने में व्यस्त थे,
मेहनत की सी एम शर्मा जी ने, प्रॉफिट “मनी” अकेले खा गया,
मनीजी तुस्सी ते छा गएजी…प्रॉफिट थोड़ा बचा लेते तो लोन न लेना पड़ता…. हा हा हा……मजा आ गया प्रतिकिर्या का…..
सत्य कहा बाबू जी …आपने इस रचना के माध्यम से पहले भी कवीजनो को समझाने का प्रयास किया है…! ……….ज्ञातव्य हो की मैंने और शिशिर जी ने भी विषय पर रचना लिखकर सकारात्मक सोचा उत्त्पन करने का प्रयास किया ….और समय समय पर आग्रह करते रहते है ……….आशा करते है की सभी कविजन इस रचना का मंतव्य समझकर अनुकूल भाव अपनाने का प्रयास करेंगे !!
बहुत बहुत धन्यवाद !!
बहुत बहुत आभार आपका…..आप जैसे गुणीजन ही सही आईना दिखा सकते हैं….
क्या बात है शर्मा जी, आपका सिक्का तो चल ही चुका है …………………………………. बहुत ही बढ़िया !!
बहुत बहुत आभार आपका……
बब्बू जी सत्य को बिना लॉग लपेट के कह देने की खूबी सब में नहीं होती. इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं
मधुकरजी….बहुत बहुत धन्यवाद आपका….आभार….
एकदम सत्य कहा आपने, मै तो कॉपी पेस्ट में महारत हासिल किया हूँ……….! पर कॉपी पेस्ट आपके विचारो का है शर्मा जी………प्रणाम आपको
हा हा हा….आपको महारथ कहाँ हासिल है….रचनाओं में दिखती है जनाब….कलम की जादूगरी…जो मन में आया लिख डाला मैंने पर यह रचना मेरी पहली रचना “कवि महोदय” का ही एक्सटेंशन है….आप उस रचना को भी पढियेगा….
सचमुच…….. बहुत ही सही………. लाजवाब शब्द आपके…..
अब आप को पता लग गया होगा कि मैं कोई रचना खुद नहीं लिखता…हा हा हा……बहुत बहुत आभार….