तेरा फिक्र करेगा कौन ?
ये दुनियाँ मौन !
सब आपने धुन में मस्त
लिप्सा में लीन हैं व्यस्त
अब आह सुनेगा कौन ?
ये दुनियाँ मौन !
कोई दुर्दिन का साथी नहीँ
निज मन का विश्वासी नहीँ
हमदर्द बनेगा कौन ?
ये दुनियाँ मौन !
खो रहा आज अपनापन
रो रहा अधर में बचपन
तस्वीर बदलेगा कौन ?
ये दुनियाँ मौन !
धूसरित गुलिश्तां हो रहा
दामन पर दाग सब ढो रहा
नफ़रत हारेगा कौन ?
ये दुनियाँ मौन !
अंगार सदृश जीवन है
गर्दिश में फँसा ये जन है
इसे मुक्त करेगा कौन ?
ये दुनियाँ मौन !
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डॉ सी एल सिंह
bahut badiya sir………
Bahut khoobsoorat alfaaz…..
आत्मकेंद्रित होती जा रही दुनिया का कटु सत्य ǃ सुंदर रचना के लिए बधाई ǃ
कोई दुर्दिन का साथी नहीँ
निज मन का विश्वासी नहीँ
बहुत ही भावपूर्ण पंक्तियाँ,
आत्यंत खुबसूरत भाव लिए!
यथार्थ से परिचय कराती खुबसुरत ऱचना ।।।।
आज की दुनिया में किसी को किसी से मतलब नहीं, बस सब मौन हैं ——- बहुत खूब ………………………… लाल जी !
बहुत खूब डाक्टर साहब!