About The Author
नाम: डी. के. निवातिया
जन्म स्थान : मेरठ , उत्तर प्रदेश (भारत)
शिक्षा: परास्नातक, शिक्षा में स्नातक सहित
विशेष रूचि :- लेखन एव पाठन कार्य में खुद के लिए कुछ समय व्यतीत करना
समस्त कवियों, लेखको एवं पाठको के द्वारा प्राप्त टिप्पणी एव सुझावों का ह्रदय से आभारी तथा सुझाव एवं प्रतिक्रियाओ का आकांक्षी !!
आप मुझ से जुड़ने एवं मेरे विचारो के लिए ट्वीटर हैंडल @nivatiya_dk पर फॉलो कर सकते है, सभी का ह्रदय से स्वागत है !
वआह….लाजवाब….बेहतरीन….बेमिसाल……सही कहा है…प्रेम करने को सब बोलते पर अंदर छुरी रखते…..और प्रेम बिना समर्पण निष्फल है…..जब समर्पण ही कर दिया…विष भी अमृत बन गया….जय हो……
आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया बब्बू जी !!
लाजवाब …………………..हर शब्द अति सुन्दर निवातियाँ जी
आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया अभिषेक !!
बहुत ही खूबसूरत रचना है. चंद लफ्जों में छुपी गहराई. बहुत खूब.
आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया विजय !!
१०० % सत्य निवातियाँ जी ………………..बहुत खूब
Thank You very Much ………….Mani
क्या खूब लिखा है प्रेम के बारे में ————– मज़ा आ गया ………………………. लाजवाब निवातियाँ जी !!
ऊर्जावान वचनो के लिए तहदिल से शुक्रिया सर्वजीत जी …………..!!
बहुत खूबसूरत रचना …………….
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी ….!!
प्रेम की गहराई और आपके सोच की गहराई दोनों का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता,बहुत खूब सर जी!
बहुत बहुत धन्यवाद सुरेन्द्र आपका ……..!!