जीयें कैसे अब महंगाई में
बढ़ता दाम है दंगाई में।
पहले अब में बहुत अंतर है
इसका जड़ नारी और नर है।
समय का फेरा समय है साथी
गरीब की हालत और बत्तर है।
मांग बढ़ी तो दाम बढ़ी है
ऐसे में बाजार चढ़ी है।
जिधर भी जाओं पैसा.पैसा
विदेशों में भी जा पड़ी है।
कहाॅ नदी अब हेरा.फेरी
सब करते हैं तरी.मेरी।
अब तो संभलो जागो भाई
क्यों करते हो तुम सब देरी।
लालच के दलदल में दबकर
फंस गया है क्यों मानव।
बुरी आदतें सीख लिया सब
क्यों बन गया है दानव।
जिधर भी देखो घूस.बजारी
शासन तक में मारा.मारी।
लूट मची है जैसे.तैसे
बन गये क्यों अत्याचारी।
आतंकवाद बढ़ी ऐसे में
लुट रहा देश सभी पैसे में।
हावाला.घोटाला बनकर
विखर गया जैसे.तैसे में।
फैसन की अब मार है भाई
आग नहीं अंगार है भाई।
चार के बनें है चैदह पैसे
यही तो अत्याचार है भाई।
गरीबों का छिन रहा निवाला
महंगाई का खेल निराला।
बी पी शर्मा बिन्दु
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963
Shivpuri jamuni chack Barh RS Patna (Bihar)
Pin Code 803214
सत्य वचन…………
THANK YOU SIR, HAMARE HAUSHLA BULAND KARNE KE LIYE.
very very true bindu ji
bahut bahut aabhar mani jee aapke pratikriya ke liye.
बहुत अच्छा ………….
sukriya ish gape ke liye, kishi kam se bahar ke kamo mein byast tha.
Truely said……………………………….
bahut bahut sukriya . byastata ke karan kuchh der se mulakat huii.
बहुत खूबसूरत ….
kuriya sir, der se mulakat ke liye khed hai.