Behaviour as a mother and mother-in-law..
माँ के कदमों में जन्नत होती है।
जब बेटा दुखी होता है तो माँ रोती है।
पर कहाँ जाती है वो इंसानियत जब
कोई माँ किसी बहु की सास होती है।
क्यों भूल जाती है वो कि बहु
उसके बेटे की अर्धांगिनी होती है।
जब दुःख देती है बहु को,
तब दर्द बेटे के दिल को देती है।
उसकी बेटी भी किसी और की बहु होती है।
जब बेटी को देता है चोट कोई
तो वही सास अपनी बेटी के लिए रोती है।
लेकिन जब अपनी बहु को वो चोट देती है।
तो क्यों नहीं उसकी आह निकलती है।
आखिर वो बहु भी तो किसी और की
बेटी होती है।
मैं ये नहीं कहती सब सास होती हैं एक जैसी।
लेकिन होती हैं कुछ सास ऐसी भी
जो तड़पाती हैं बहु को,और खुश होती हैं।
और ऐसी ही सास अपनी मानवता को खोती हैं।
By:Dr Swati Gupta
Bahut hibsahi kaha aapne….beti ke liye chinta or bahu ko dukh ki chita….hai bahut si auratein aisi….aapki rachana sarthak ho raasta dikhaane mein….bahut hi badhiya….
Apka bahut bahut dhanyawad Sir…yadi saas bahu ko beti ya bahu saas ko maa samajhne lage…tou sayad koi samasya hi nahi rahegi..
यहाँ भी डॉ. स्वाति बेटे की चाहत की लड़ाई हैं. अपने जिगर के टुकड़े को किसी और का होते हुए देख पाने में उसे मुश्किल होती है.
आपका कथन सत्य है..सर!!! लेकिन मैं विनम्रता पूर्वक ऐसी सासो से निवेदन करना चाहती हूँ कि वो भी कभी किसी और के बेटे की पत्नी बनी थी…क्योंकि सास भी कभी बहु थी।
कही सास तो कही बहु भी गलत होती है, समझने की जरूरत है एक दूसरे को, बहुत खूब स्वाति जी
आपकी बात 100%सत्य है Maniji..दोनों को ही अपने रिश्ते समझने की जरूरत है।
swati ji …hum iss baat ko aisey bhi keh sakhtey hai ki beti bhi toh bahu ban jaati hai , agar saas aur bahu ki kahani hamein kisi betey ki zubaani samjhani ho toh bahut mushkil hai Appne khub acha likha magar mere mann mein ek sawaal aaya ….saas kabhi maa nahi hoti , aur bahu kabhi beti nahi hoti …ye toh sirf samjh ki baat hai aur iss purane sadiyo se chali aa rahi reet hai jise na saas manti hai na bahu
Tammnaji.. problem is that sometimes saas does not understand or sometimes bahu.. you r absolutely right
very nice swati ji
Thanks abhishek ji…
नारी के ही विभिन्न रूप हैं. इनका जवाब भी आप को ही देना चाहिए. खूबसूरत रचना………………
सही बात है …सर…नारी ही नारी की दुश्मन है…
बहुत बढ़िया …………………………………. स्वाति जी !!
इस दुनिया की सास और बहू बस एक बात को जाने
तो खत्म हो जायेंगे सारे झगड़े
अगर बहू सास को माँ और सास बहू को बेटी माने !
Sir…your views r superb but in reality saas or bahu does not want to accept this relation…
डा .स्वाति गुप्ता की गद्यात्मक रचना समाज को जागृत करने के लिए प्रेरित करती है | सास -बहू के आपसी सामंजस्व की कमी और वर्तमान में घटने वाली घटनाओं की व्यथा -कथा का वर्णन वर्णित किया है | धन्यवाद !