उसके हुस्न की अदा ही कुछ ऐसी थी
जो हमेशा दीवाना बनाया करती थी…..!!
उसके गुनगुनाने की अदा कुछ ऐसी थी…
बिन पिए जाम मन की महफ़िल मदहोश हो जाया करती थी …!!
गुजरती थी जब वो मेरी ज़िन्दगी की गलियों से..
बिन मौसम बरसात हुआ करती थी …..!!
जब वो मेरे लबों पर दस्तक देती थी …
तो खुबसूरती में चार चाँद लगा जाया करती थी …!!
अरे ज्यादा सोचो मत दोस्तों
वो कोई हसीना नहीं …कोई नगीना नहीं
वो मेरे छात्र जीवन के चेहरे की ”मुस्कान”हुआ करती थी..!!!
जो आज इस व्यस्तता और कामकाजी भरे जीवन
में कही खो सी गयी है ….!!!!
जो मेरे चेहरे पर तनाव का पर्दा डाल
खुद कही सो सी गयी है ….!!!
सही कहा आपने इंसान ने खुद को इतना व्यस्त कर लिया ही की खुद के लिए वक्त ही नहीं बचा उसके पास मुस्कुराने के लिए…………….बहुत खूब
शुक्रिया …..बहुत आभार आपका
खूबसूरत अलफ़ाज़ ख़ूबसूरत रचना ……………………. बहुत ही बढ़िया अंकिता जी !!
बहुत आभार आपका सर्वजीत सर……
अंकिता अंशु जी आपके लिखने का अंदाज अनूठा ही जो अत्यंत ही खुबसूरत है…..!
बहुत आभार …..
Bahut khubsurat hakikat me likhne ka andaaj mohit kar dene vaalaa hai …..!!
बहुत बहुत शुक्रिया निवातियाँ सर …..
हल्के फुल्के अंदाज़ में सांसारिक जीवन की सच्चाई प्रकट करती अच्छी रचना अंकिता
आपकी प्रतिक्रिया के लिए मैं हमेशा आभारी हूँ सर
truly amazing…awsome
Thank you So much Prakash Sir
बहुत खूबसूरत रचना आपकी…..बेहतरीन भाव….आप अपनी ही रचना को दुबारा पढ़िए….देखो वही मुस्कान वापिस है आपके चेहरे पे……
बिलकुल सही कहा आपने सर …..बहुत आभार …..
पुराने दिन की झलकिया दिखा दी अंकिता जी ने।बहुत खूब।।
बहुत आभार …..,,…
निश्चित ही आज व्यक्ति जीवन में तनाव ने अपना घर बन लिया है. खूबसूरत रचना. एक बार “आओ मिलकर देश सजाएँ” पढ़ें.
बहुत- बहुत धन्यवाद आपका ….
बहुत ही खुबसूरत अंकिता अंशु जी
Thanku so much Sir..